Home हिंदी वाराणसी में टमाटर बेचने के लिए बाउंसर रखने वाला शख्स निकला सपा नेता का बेटा
हिंदी

वाराणसी में टमाटर बेचने के लिए बाउंसर रखने वाला शख्स निकला सपा नेता का बेटा

Share
Share

भारत में टमाटर के दाम आसमान छू रहें हैं। मूलरूप से इसका सिर्फ एक कारण है- कृषि अर्थव्यवस्था। कृषि अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए केंद्र सरकार ने कृषि कानून लागू करने के लिए बहुत प्रयत्न किया, लेकिन अफ़सोस विपक्ष की ओछी राजनीति के कारण कानून लागू नहीं हो पाया। नतीजन, आज देश के आम आदमी को मौसमी सब्जियों के बढ़ते कीमत की मार को सहना पड़ रहा है। आज जब टमाटर के दाम में वृद्धि देखने को मिले तो विपक्षी की राजनीति एक स्तर और नीचे गिर गई। हाल ही में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक ट्वीट कर इस नए स्तर का उदाहरण पेश किया है।

अखिलेश यादव ने पीटीआई न्यूज़ का रिपोर्ट का हवाला देकर ट्वीट किया, “ भाजपा टमाटर को Z प्लेस सुरक्षा दे।”

अखिलेश यादव के इस ट्वीट से इस मामले ने तूल पकड़ लिया। बता दें कि यह मामला बनारस का है, और इस मामले में वाराणसी पुलिस ने कार्यवाही करते हुए 3 ज्ञात और 1 अज्ञात के ऊपर लंका थाने में 295, 153A, 505(2) के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया।

पुलिस की कार्यवाही के तत्पश्चात सोशल मीडिया पर यह मामला आग की तरह वायरल हो गया।

इस्लामिस्ट प्रोपेगंडा पत्रकार सदफ अफरीन ने ट्वीट किया, “यूपी, वाराणसी टमाटर की बढ़ती कीमतों को देखते हुए बाउंसर लगा कर टमाटर बेच रहे सब्ज़ी विक्रेता को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है!

मतलब गब्जे है! क्या बाउंसर लगाकर टमाटर बेचना गुनाह है??

सब्जी विक्रेता व उसके बेटे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है!” 

बोलता हिंदुस्तान नामक एक मीडिया संस्थान ने इन्फोग्राओहिक इमेज साझा कर दावा किया, “टमाटर की सुरक्षा के लिए बाउंसर लगाने वाले दुकानदार को पुलिस ने किया गिरफ्तार।” 

तो, क्या यह सच है कि टमाटर की ऊंची कीमत के बीच सुरक्षा के लिए बाउंसर रखने के लिए सब्जी विक्रेता को गिरफ्तार किया गया था या यह नया प्रोपेगंडा है?

यह भी पढ़े : हरिद्वार रेस्क्यू ऑपरेशन को धार्मिक रंग दिया गया, एसडीआरएफ ने बचाई कावड़िया की जान

फैक्ट चेक

चुकी अखिलेश यादव ने पीटीआई न्यूज़ का हवाला दिया था, इसलिए हमने अपनी पड़ताल की शुरुआत भी पीटीआई द्वारा प्रकशित रिपोर्ट के तह तक जाने से की। हैरानी की बात है कि पीटीआई के अपने रिपोर्ट को डीलीट कर स्पष्टीकरण दिया था।

पीटीआई के मुताबिक, आज सुबह पीटीआई ने एक कहानी ट्वीट किया था, जिसमें एक सब्जी बेचने वाले ने टमाटर की रखवाली करने के लिए बाउंसर लगा रखा था। हमारी जानकारी मिली कि वो सब्जी बेचने वाला दरअसल सपा का कार्यकर्ता है। ऐसे में सब्जी बेचने वाले की कही हुई बात को हम सत्यापित नहीं कर सकते है। अतः हमने उस ट्वीट को डिलीट कर दिया। हमें अफ़सोस है कि बिना पूरी कहानी जाने हमने अधूरी कहानी को रिपोर्ट किया। हमें आश्वासन देते है कि पीटीआई निष्पक्ष पत्रकारिता करने हेतु प्रतिबद्ध है।”

पीटीआई द्वारा दी गई स्पष्टीकरण ने विपक्ष द्वारा फैलाए जा रहें प्रोपेगंडा को विध्वंस कर दिया। इस मामले में हमने और भी मुख्यधारा मीडिया की रिपोर्ट को देखा।

एबीपी न्यूज़ ने अनुसार, “इस घटनाक्रम को अंजाम देने वाले सब्जी विक्रेता अजय फौजी समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता हैं। पिछले हफ्ते उन्होंने पार्टी मुखिया अखिलेश यादव के जन्मदिन पर टमाटर के आकार का केक काटा था और लोगों के बीच टमाटर बांटे थे।”

टमाटर बेचने वाले सब्जी विक्रेता पर एबीपी न्यूज की रिपोर्ट

एबीपी न्यूज़ रिपोर्ट से हमें सपा कार्यकर्ता का नाम पता चला। आगे पड़ताल में यह ज्ञात हुआ कि साल 2020,  में अजय फौजी ने वाराणसी में पीएम मोदी के काफ़िले को काला झंडा दिखाया था।

मीडिया विजिल के अनुसार, समाजवादी पार्टी की वाराणसी इकाई के पूर्व जिलाध्यक्ष सतीश फौजी के बेटे अजय यादव उर्फ अजय फौजी ने संत रविदास गेट के पास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के काफिले में घुसकर काला झंडा दिखाया। पुलिस ने अजय यादव को हिरासत में ले लिया है।

टमाटर की कीमत के कारण बाउंसर रखने वाला कथित सब्जी विक्रेता समाजवादी पार्टी के नेता का बेटा है

मीडिया विजील की रिपोर्ट को अमर उजाला ने भी पुष्टि की है।

ऊपर उल्लेख किए गए तमाम प्रमाण के बाद यह सिद्ध होता है कि वाराणसी में बाउंसर लगाकर टमाटर बेचने वाला व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि एक सपा कार्यकर्ता है। अतः सपा कार्यकर्ता ने प्रोपेगंडा रचने के लिए बाउंसर लगाए थे, यानी बाउंसर सुरक्षा के मकसद से नहीं राजनीति के मकसद से लगाए गए थे।

दावाअखिलेश यादव, सदफ अफरीन और बोलता हिंदुस्तान ने ट्वीट कर दावा किया कि वाराणसी में टमाटर बेचने के लिए बाउंसर लगाने पड़े और फिर पुलिस ने सब्जी बेचने वाले सख्स को गिरफ्तार कर लिया है।
दावेदार अखिलेश यादव, सदफ अफरीन और बोलता हिंदुस्तान
फैक्ट चेकप्रोपेगंडा और भ्रामक

यह भी पढ़े: ट्विटर यूजर्स ने मध्यप्रदेश का वीडियो साझा कर किया भ्रामक दावा, वायरल वीडियो दो वर्ष पुराना है

प्रिय पाठकों, हम भारत के खिलाफ फर्जी खबरों को उजागर करने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। हमारे पास अन्य लोगों की तरह कोई कॉर्पोरेट फंडिंग नहीं है। आपका छोटा सा सहयोग हमें और आगे बढ़ने में मदद करेगा। आप हमें लिविक्स मीडिया फाउंडेशन क्यूआर कोड द्वारा भी सहयोग कर सकते हैं

Share