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यूपी में अंकित लोधी और रवि यादव की हत्या में जातिगत एंगल नहीं है

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सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अंकित लोधी की हत्या जातिगत कारणों से की गई। इसके साथ ही, कुछ दिन पहले कानपुर में भी रवि यादव नामक युवक की हत्या जातिगत कारणों से होने का दावा किया जा रहा है। इन घटनाओं के आधार पर सोशल मीडिया पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि यूपी में जंगलराज व्याप्त है, जहां हर दिन दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों की जातिगत आधार पर हत्याएं हो रही हैं।

विश्वजीत यादव ने लिखा, ‘जंगलराज “उर्फ उत्तर प्रदेश से खबर है ! जंगल राज की राजधानी लखनऊ में 35 साल के अंकित लोधी की सर में गोली मारकर हत्या कर दी गई !  कल कानपुर में रवि यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी यूपी में रोज दलित ,पिछड़े और मुसलमान की हत्या हो रही है !’

लफी ने लिखा, ‘उत्तरप्रदेश के जंगलराज की सुबह हो चुकी है। लखनऊ में 35 वर्षीय अंकित राजपूत (लोधी) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। कानपुर में 21 वर्षीय रवि यादव को घर में घुसकर उसकी दादी के सामने गोली मार दी गई। लेकिन ये ‘लोधी’ लोग अभी भी भाजपा के ही चरणों में पड़े रहेंगे?’

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फैक्ट चेक

हमने दावे की पड़ताल के लिए गूगल सर्च किया। हमें ETV भारत की 21 फरवरी 2025 की रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक, 19 फरवरी को लखनऊ के काकोरी इलाके में प्रॉपर्टी डीलर अंकित लोधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। अंकित की हत्या जमीन पर कब्जे की नीयत से कराई गई और इस मामले में कई संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है।

Source- Etv bharat

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि अंकित की हत्या से पहले एक शादी समारोह में विवाद हुआ था। शादी में मौजूद सुमित कनौजिया, अखिलेश यादव, गोलू यादव और टउवा यादव से उसकी कहासुनी हो गई थी, जिसके बाद चारों ने अंकित को पीटकर गोली मार दी। घटना के बाद अंकित को ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। दैनिक भास्कर की 23 फरवरी 2025 की रिपोर्ट में बताया गया कि लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने मुख्य आरोपी गोलू यादव की अवैध प्लॉटिंग पर बुलडोजर चलाया। गोलू यादव पर पहले से ही आपराधिक मामले दर्ज थे, और वह जमानत पर बाहर था।

कानपुर में रवि यादव की हत्या की सच्चाई

हमने कानपुर में हुई रवि यादव की हत्या की भी जांच की। पत्रिका की 20 फरवरी 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, रवि यादव और मधुरम तिवारी के बीच एक युवती से छेड़छाड़ को लेकर विवाद चल रहा था। घटना वाले दिन रवि यादव अपने खेत जा रहा था, तभी मधुरम तिवारी ने उसे गोली मार दी। रिपोर्ट में आगे बताया गया कि हत्या के मामले में छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया, जिनमें से तीन को गिरफ्तार किया गया। गांव में तनाव की स्थिति बनी हुई थी, जिस कारण वहां PAC और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया।

नवभारत टाइम्स की 21 फरवरी 2025 की रिपोर्ट के अनुसार रवि यादव की हत्या के पीछे सियासी कारण भी थे। बताया जा रहा है कि रवि यादव ने कुछ दिन पहले समाजवादी पार्टी की एक बैठक में किसी व्यक्ति को थप्पड़ मारा था और एक युवक से 50,000 रुपये की रंगदारी मांगी थी। इसी रंजिश में उसकी हत्या की गई।

दैनिक भास्कर की 21 फरवरी 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, रवि यादव पर पहले से लूट, डकैती और मारपीट जैसे कई मुकदमे दर्ज थे। पुलिस ने हाल ही में उसके खिलाफ गुंडा एक्ट की कार्रवाई भी की थी। दैनिक भास्कर के मुताबिक, मृतक रवि यादव पर कानपुर देहात और नगर में तीन से अधिक मुकदमे दर्ज है, जिनमें लूट, चोरी, डकैती, मारपीट शामिल है। पुलिस ने बीते दिनों गुंडा एक्ट की कार्रवाई भी रवि यादव पर की थी। ग्रामीण नाम न छापने की शर्त पर बताते है, कि रवि यादव को पकड़ने आज से लगभग दो माह पहले गांव में एसटीएफ की टीम आई थी। टीम ने उसे चारपाई पर लेते हुए पकड़ लिया था। इसके बाद रवि यादव टीम पर हमला बोलकर वहां से भगा निकला था। रवि गांव में हर किसी से अपनी दबंगई दिखाया करता था। जिसके चलते उससे आए दिन किसी न किसी से विवाद होता था। पर लोग मुंह लगने की बजाय मुड़कर निकल जाया करते थे।

दैनिक भास्कर ने आगे लिखा, ‘हत्यारोपी मधुराम ने घटना के बाद कानपुर डीसीपी क्राइम आशीष श्रीवास्तव को फोनकर पूरी वारदात बताई थी, इसके बाद उसने पुलिस अधिकारियों से अपने परिवार की सुरक्षा करने की मांग की थी, हालाकि उसका आरोप था, कि रवि यादव उससे पचास हजार रुपए की रंगदारी मांग रहा था, रुपए न देने पर वह अपने तीन साथियों के साथ घर पर घुस आया। और उनकी दादी के ऊपर फायर कर दिया। फायरिंग की आवाज सुनकर मधुराम नीचे आए तो तीनों भागने लगे, इस दौरान एक का तमंचा जमीन पर गिर गया। जिसे मधुराम ने उठाया और रवि यादव के ऊपर फायर कर दिया। जिससे रवि यादव की मौत हो गई।’

दावाअंकित लोधी और रवि यादव की हत्या जातिगत कारणों की वजह से हुई थी.
दावेदारसोशल मीडिया यूजर्स
निष्कर्षजांच में अंकित लोधी और रवि यादव की हत्या को जातिगत कारणों से जोड़ने का दावा भ्रामक निकला। दोनों हत्याएं निजी विवादों और आपराधिक रंजिश का परिणाम थीं।

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