सोशल मीडिया पर एक अख़बार की एक कटिंग वायरल हो रही है। इस कटिंग में दावा किया गया है कि प्रतापगढ़ में पटेलों के दर्जनों घरों में ब्राह्मणों ने आग लगाई। साथ ही गाँव में गोलियां भी चली। सोशल मीडिया पर लोग इस खबर को शेयर कर उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन पर जातिवाद और सामंतवाद का आरोप लगा रहे हैं। हालांकि हमारी पड़ताल में पता चलता है कि यह भ्रामक दावों के साथ वायरल यह घटना 4 साल पुरानी है।
उमा शंकर पटेल ने X पर लिखा, ‘ यह अभी का उत्तरप्रदेश है।‘
कांग्रेस कार्यकर्ता मंजीत घोषी ने लिखा, ‘दंगाई की कोई जात नहीं होती ये भूल गये पत्रकार वैसे आरोपी कहा से आये थे क्योंकि यूपी वाले तो प्रदेश छोड़ चुके है।‘
X हैंडल Constitutional Human Being ने लिखा, ‘डूब मरो ओबीसी समाज जाहिलों तुम्हारी यही औकात है। 3% विदेशी ब्राह्मणो को उनकी औकात नहीं दिखा पा रहे हो!#लानत है ओबीसी समाज को। ओबीसी समाज की औकात देखना हो तो दलित आदिवासी मुस्लिम ईसाई समाज पर देख सकते हो। एक नंबर का मानसिक अपाहिज समाज है OBC,यही सत्य है.दुश्मनो को गले लगाते है।‘
इसके अलावा इस अख़बार कटिंग को चंदन ने भी शेयर किया।
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वायरल दावे की जांच के लिए हमने संबंधित कीवर्ड का उपयोग करके न्यूज़ रिपोर्ट सर्च की। इस सर्च के दौरान हमें 23 मई 2020 की लाइव हिन्दुस्तान द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के अनुसार पट्टी थाना क्षेत्र के धुंई निवासी रामआसरे तिवारी और आसपुर देवसरा के गोविंदपुर निवासी नन्हे वर्मा के बीच गुरुवार शाम को विवाद हुआ था। पुलिस की मौजूदगी में पंचायत के बाद दोनों पक्षों में समझौता हो गया था। हालांकि कुछ देर बाद परसदा में दुकानदार समेत चार लोगों की पिटाई की। भीड़ ने धुंई ग्राम प्रधान चमेला देवी के बेटे अनिल तिवारी सहित पांच लोगों की पिटाई कर तोड़फोड़ की। पुलिस ने गोविंदपुर में महिलाओं समेत दर्जनभर लोगों को हिरासत में लिया जिससे ग्रामीण उग्र हो गए और सिपाहियों से हाथापाई की गई।
पड़ताल के दौरान हमें लाइव हिन्दुस्तान द्वारा प्रकाशित 05 जून 2020 की एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक पट्टी थाना क्षेत्र के धुंई निवासी रामआसरे तिवारी और आसपुर देवसरा इलाके के गोविंदपुर निवासी नन्हे वर्मा के बीच 21 मई की शाम खेत में मवेशी जाने को लेकर विवाद हुआ था। इस विवाद के चलते 22 मई को पंचायत के बाद मारपीट और बवाल हुआ। ग्रामीणों के हमले में पांच पुलिसकर्मी भी घायल हो गए थे। इस मामले में धुंई ग्राम प्रधान चमेला देवी के बेटे अनिल तिवारी और कांस्टेबल रणजीत सिंह की तहरीर पर पुलिस ने परसद, गोविंदपुर और फत्तूपुर निवासी 29 नामजद और 110 अज्ञात लोगों के खिलाफ दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए थे। पुलिस ने 10 लोगों को जेल भेज दिया और 10 महिलाओं का शांतिभंग में चालान किया। दूसरे पक्ष के परसद निवासी रमाशंकर वर्मा ने धुंई ग्राम प्रधान के बेटे समेत दर्जनभर नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। गोविंदपुर निवासी नन्हे की पत्नी सीता देवी ने भी प्रधान पुत्र समेत 14 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ संगीन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई है।‘
वहीं अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक पट्टी थाना क्षेत्र के धुंई निवासी रामआसरे तिवारी व आसपुर देवसरा के गोविंदपुर निवासी नन्हे वर्मा के बीच 21 मई की शाम खेत में मवेशी जाने को लेकर विवाद हुआ था। 22 मई को गोविंदपुर में पंचायत के बाद बवाल में पांच पुलिसकर्मियों समेत करीब दर्जनभर लोग घायल हो गए थे। गोविंदपुर में बद्री प्रसाद वर्मा की पशुशाला में संदिग्ध दशा में लगी आग के कारण तीन मवेशी झुलस गए थे।
इसके अतिरिक्त हमें अमर उजाला द्वारा प्रकाशित 11 जून 2020 की एक रिपोर्ट मिली, जो पूरे प्रकरण पर प्रकाश डालती है। रिपोर्ट के अनुसार पट्टी इलाके में धुंई और गोविंदपुर गांव के लोगों के बीच हुई मारपीट की घटना में हत्या जैसी वारदात को अंजाम देकर बड़े पैमाने पर जातीय हिंसा फैलाने की साजिश रची गई थी।
पुलिस ने इस साजिश के मास्टरमाइंड को गिरफ्तार करने के बाद यह सनसनीखेज खुलासा किया है। पुलिस का दावा है कि हिंसा के मास्टरमाइंड हरिकेश पटेल, पुत्र नन्हे पटेल, निवासी गोविंदपुर को स्वॉट टीम की मदद से पट्टी और देवसरा पुलिस ने पकड़ लिया। आरोपी के पास से एक मोबाइल बरामद हुआ है, जिसके जरिए उसने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर किसी की हत्या कर जातीय हिंसा फैलाने की योजना बनाई थी। पुलिस ने आरोपी को जेल भेज दिया है और उसके साथियों की तलाश जारी है। अमर उजाला की रिपोर्ट आगे कहती है कि गोविंदपुर घटना के बाद जातीय हिंसा की अफवाह फैलाई गई और इसे सियासी रंग देने का प्रयास किया गया। 4 जून को जातीय हिंसा फैलाकर बवाल कराने की साजिश रची गई थी। गोविंदपुर निवासी हरिकेश पटेल ने पंचायत भवन भोपालपुर के इर्द-गिर्द रास्तों पर अपने लोगों को खड़ा किया था, ताकि मौका पाकर किसी की भी हत्या की जा सके। इसका उद्देश्य स्थानीय राजनैतिक लाभ लेना और लोगों के बीच जातीय संघर्ष भड़काना था। पुलिस सूचना मिलने पर वहां पहुंच गई, जिससे लोग भाग निकले। पट्टी पुलिस ने हरिकेश पटेल समेत अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था।
पूछताछ में हरिकेश पटेल ने बताया कि 21 मई को रामआसरे तिवारी की गाय उसके खीरे के खेत में आ गई थी, जिससे दोनों पक्षों में कहासुनी हो गई। इस मामले को मुद्दा बनाकर राजनैतिक लाभ लेने के लिए 21 मई को पंचायत बुलाई गई। बाद में अफवाह फैलाई गई कि ग्राम धुंई के लोग आकर हमसे मारपीट कर रहे हैं। मारपीट में घायल प्रधान पुत्र अनिल तिवारी के कोतवाली जाने पर अपने लोगों के साथ उसके घर पर चढ़ाई कर दी और पुलिस फोर्स पर भी हमला किया। भागते समय गांव के बद्री वर्मा के छप्पर में आग लगा दी। इसके बाद, हरिकेश पटेल ने सोशल मीडिया के माध्यम से भ्रामक सूचना फैलाकर जातीय हिंसा की साजिश रची, ताकि बवाल होने के बाद वह इसका राजनैतिक लाभ उठा सके।
अमर उजाला की रिपोर्ट में प्रतापगढ़ के गोविंदपुर मामले में षड्यंत्र का पर्दाफाश करते हुए आगे लिखा गया है कि मामूली विवाद को तूल देकर जातीय हिंसा की साजिश रचने वाला हरिकेश पटेल भले ही बेरोजगार हो, लेकिन उसके सपने बहुत बड़े हैं। उसने अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए जिले में बड़ा बवाल कराने की ठान ली थी। वह बवाल को जातीय हिंसा से जोड़कर बड़ा नेता बनना चाहता था। पुलिस के अनुसार हरिकेश ने मवेशियों के खेत में जाने को लेकर हुए विवाद को लगातार तूल दिया। उसने समाज के नेताओं और पिछड़ों की राजनीति करने वालों को उकसाने के लिए दूसरों की मदद ली। हरिकेश पटेल ने जातीय हिंसा की साजिश रचने के साथ-साथ अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए भी योजना बनाई। उसने अपनी मां सीता देवी के बैंक खाते का नंबर सोशल मीडिया पर वायरल करके समाज के लोगों से मदद मांगी।
निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि वायरल अख़बार की कटिंग से सम्बंधित मामला 4 वर्ष पुराना है, साथ ही इस कटिंग में भ्रामक दावे किए गये हैं।
दावा | प्रतापगढ़ में पटेलों के दर्जनों घरों में ब्राह्मणों ने लगाई आग। |
दावेदार | सोशल मीडिया यूजर्स |
फैक्ट चेक | भ्रामक |
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