सोशल मीडिया पर एक अख़बार की न्यूज़ कटिंग वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया गया है कि हेडमास्टर की मटकी से पानी पीने पर एक दलित छात्र की हत्या कर दी गई। इस कटिंग को शेयर करते हुए सोशल मीडिया यूजर्स सरकार पर सवाल उठा रहे हैं और भारत में जातिवाद को लेकर बहस छेड़ रहे हैं। हालांकि, हमारी पड़ताल में यह दावा भ्रामक साबित हुआ है।
पुनीत शर्मा ने लिखा, ‘जाति? कहाँ है जाति? अब तो जाति के स्वघोषित योद्धा भी सिरे से गायब हैं। क्यूँकि उनकी नयी नौकरी और उस से होने वाली कमाई, अब उन्हें कम से कम, अपनी पोषण पार्टी के राज्यों में होने वाले जातिगत अपराधों की ओर देखने से रोक देती है।’
दयाशंकर मिश्रा ने लिखा, ‘यह मनुस्मृति और संविधान की लड़ाई है। जब तक मनुस्मृति ज़िंदा है, ऐसी घटनाओं से मुक्ति संभव नहीं। राजस्थान की यह ख़बर भारत में दलितों के साथ भेदभाव की पूरी कहानी बता देती है। आरक्षण के सवाल पर नाराज़ होने वालों को थोड़ा सा वक़्त ऐसी ख़बरों के लिए भी देना चाहिए।’
कदम सिंह बलियान ने लिखा, ‘राजस्थान के जालोर के सुराणा के निजी स्कूल के हेडमास्टर ने दलित छात्र को घडे से पानी पीने पर उसकी निर्ममता पूर्वक पिटाई की जिससे उसकी मौत हो गई घटना बेहद शर्मनाक है प्रदेश सरकार दोषी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करे राष्ट्रीय दलित जागरण मंच की यही मांग है.’
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इस मामले की सच्चाई जानने के लिए हमने की-वर्ड्स की मदद से गूगल पर सर्च किया, जिससे हमें आजतक की 16 अगस्त 2022 की रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक, जालौर में 9 साल के दलित छात्र इंद्र कुमार मेघवाल की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा था। इस बीच एक बड़ा दावा सामने आया कि स्कूल में पानी की कोई मटकी थी ही नहीं।
आजतक की टीम ने इस मामले की ग्राउंड रिपोर्टिंग की और सुराणा गांव के उसी स्कूल में जाकर शिक्षकों, छात्रों और ग्रामीणों से बातचीत की। तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले छात्र राजेश, जो इंद्र कुमार का सहपाठी था, ने बताया कि उसकी और इंद्र की आपसी लड़ाई हो गई थी, जिसके बाद शिक्षक छैल सिंह ने दोनों को थप्पड़ मारा था। इसके बाद से वह (राजेश) स्कूल नहीं आया। जब उससे मटकी को लेकर सवाल किया गया तो उसने कहा कि स्कूल में सभी बच्चे पानी की टंकी से ही पानी पीते हैं।
स्कूल स्टाफ ने भी इस बात की पुष्टि की कि वहां कभी कोई मटकी थी ही नहीं और स्कूल में किसी भी तरह का जातिगत भेदभाव नहीं होता। हालांकि, स्कूल प्रशासन ने यह माना कि बच्चों के झगड़े के बाद शिक्षक छैल सिंह ने दोनों बच्चों को थप्पड़ मारा था। इस मामले में ग्रामीणों का कहना है कि इंद्र कुमार के कान में पहले से ही बीमारी थी, जिससे उसकी मौत हुई। पूरे गांव को इस मौत का दुख है, लेकिन मटकी और छुआछूत का झूठा आरोप लगाकर जालौर को बदनाम किया जा रहा है। इतना ही नहीं, गांव के सभी समुदायों के लोग शिक्षक के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे थे। ग्रामीणों का कहना था कि मटकी और छुआछूत को लेकर लगाए जा रहे आरोप पूरी तरह निराधार हैं और यह सिर्फ गांव को बदनाम करने की कोशिश है।
आजतक की टीम ने इंद्र कुमार के भाई से बात की, जो उसी स्कूल में पढ़ता था। उसने आरोप लगाया कि इंद्र ने मटकी को हाथ लगाया था, जिसके बाद शिक्षक छैल सिंह ने उसकी पिटाई कर दी, जिससे उसके कान से खून बहने लगा। परिवार का कहना है कि वे इस मामले में न्याय चाहते हैं और उनका दावा है कि स्कूल में मटकी रखी थी, जिससे पानी पीने पर इंद्र की पिटाई की गई।
पड़ताल में आगे हमें नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट मिली. NBT की 18 अगस्त 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान के जालौर में मासूम दलित छात्र की मौत के मामले में सरस्वती विद्या मंदिर उच्च प्राथमिक विद्यालय के स्टाफ और बच्चों का कहना है कि स्कूल में पानी का कोई मटका है ही नहीं। पूरे मामले को जबरदस्ती जातिगत मोड़ दिया जा रहा है। दरअसल, सरस्वती विद्या मंदिर जालौर के सुराणा गांव का वही स्कूल है, जिसमें छात्र इंद्रकुमार तीसरी क्लास में पढ़ता था। इस मामले में नवभारत टाइम्स की टीम ने भी सच जानने की कोशिश की। जब वहां बच्चों से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि स्कूल में कोई मटकी नहीं है और सभी बच्चे स्कूल में बनी पानी की टंकी से ही पानी पीते हैं।
NBT ने आगे लिखा, “20 जुलाई को छात्र इंद्र कुमार मेघवाल का एक बच्चे के साथ झगड़ा हो गया था। झगड़ा एक ड्राइंग बुक को लेकर हुआ था। जब दोनों बच्चे झगड़ रहे थे, तभी शिक्षक छैल सिंह वहां पहुंचे और दोनों बच्चों को थप्पड़ मार दिया। इस पिटाई के कारण इंद्र कुमार के कान की तकलीफ बढ़ गई और घटना के 23 दिन बाद उसकी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि इंद्र कुमार पहले से ही कान के संक्रमण (इन्फेक्शन) से ग्रसित था।”
वहीं, दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, इंद्र कुमार की पिटाई के करीब 24 दिन बाद उसकी इलाज के दौरान मौत हुई। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने एडिशनल एसपी की अगुवाई में एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया। SIT ने 1000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल करते हुए 78 गवाहों के बयान लिए। इसमें स्कूल के 4 छात्रों के बयान दर्ज किए गए, जिन्होंने इस बात की पुष्टि की कि स्कूल में कोई मटकी नहीं थी और सभी बच्चे टंकी से पानी पीते थे। दो छात्रों के बीच झगड़े की वजह से शिक्षक ने थप्पड़ मारा था। चार्जशीट में बताया गया कि शिक्षकों और ग्रामीणों ने भी बयान में कहा कि स्कूल में कभी मटकी नहीं थी।
दावा | राजस्थान में एक दलित बच्चे को हेडमास्टर ने इसलिए जान से मारा क्योंकि दलित बच्चे ने हेडमास्टर के मटके से पानी पी लिया था. |
दावेदार | सोशल मीडिया यूजर्स |
निष्कर्ष | वायरल दावे की गहराई से जांच करने पर यह स्पष्ट है कि मटके का पानी पीने पर छात्र की पिटाई का दावा भ्रामक और झूठा है। |
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