उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक मस्जिद के इमाम को एक युवक ने गोली मार दी। इस घटना को लेकर सोशल मीडिया में सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है हालंकि पड़ताल में पता चलता है कि आरोपी और पीड़ित एक ही समुदाय से हैं।
इजा ने लिखा, ‘एक और दिन, निर्दोष मुसलमानों पर एक और हमला। यह वाकई अस्वीकार्य है। मुसलमानों को कब तक यह सब सहना पड़ेगा?’
हमद ने लिखा. ‘यह हिंदुत्व आतंकवाद का स्पष्ट मामला लगता है। @meerutpolice क्या कार्रवाई कर रही है? कोई एफआईआर या जांच शुरू हुई है? क्या अवैध हथियार को उंगलियों के निशान सुरक्षित रखने के लिए सुरक्षित रूप से जब्त कर लिया गया है?’
जाकिर अली त्यागी ने लिखा, ‘मेरठ के लिसाड़ी गेट में कासमी मस्जिद के इमाम को मस्जिद में घुसकर गोली मारी गई, इमाम बच्चों को कुरआन की तिलावत करवा रहे थे उसी वक़्त कुछ युवक मस्जिद में घुसे और गोली मार तमंचा फेंककर भाग गये, इस मामलें को यति नरसिंहानंद के विरोध से जोड़कर देखा जा रहा है!’
अनिरुद्ध सिंह ने लिखा, ‘ये कट्टर धार्मीक जॉम्बी देश के और कितने टुकड़े करेगें?मेरठ के लिसाड़ी गेट में कासमी मस्जिद के इमाम नईम को मस्जिद में घुसकर गोली मारी गई है, इमाम बच्चों को कुरआन की तिलावत करवा रहे थे उसी वक़्त एक युवक मस्जिद में घुसा और गोली मार तमंचा फेंककर भाग गया, इमाम नईम की हालत गंभीर बताई जा रही है!असल में इन्हें धार्मिक कहना भी गलत ही होगा ये धार्मिक नहीं बल्कि मानसिक बीमार बनाए गए वो लोग हैं जिन्हें “अपने से भिन्न भेषभूसा, पहनावा और मान्यताओं बाला हर एक व्यक्ति उनका और उनके धर्म का शत्रु नजर आता है जिससे अपने धर्म को बचाना उनकी जम्मेदारी है और वो इसी काम के लिए पैदा हुए, उनके लिए हर एक भिन्न विचार और मान्यताओं वाले व्यक्ति / समुदाय को खत्म कर देना पुण्य का काम है। मेरठ पुलिस तत्काल गंभीरता से कार्यवाही करें।’
फहद ने लिखा, ‘…………एक और घृणा अपराध. मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है.’
शैख जुबैर ने लिखा, ‘भारतीय अल्पसंख्यकों को बचाएं…………..’
पड़ताल में हमने सम्बन्धित कीवर्ड्स को गूगल पर सर्च किया तो अमर उजाला और दैनिक जागरण की रिपोर्ट मिली। इन रिपोर्ट्स में बताया गया है कि मेरठ कंकरखेडा के मुरलीपुर निवासी 40 वर्षीय मौलाना नईम समरगार्डन शहजाद कॉलोनी स्थित कासमी मस्जिद में पिछले छह साल से इमाम है। नईम ने बताया कि पांच दिन पहले रिहान कॉलोनी निवासी सरताज मस्जिद में नमाज पढ़ने आया। उसकी टोपी सही नहीं लगी थी। नमाज पढ़ रहे बुजुर्ग अब्बा अजीज ने सरताज की टोपी सीधी कर दी। इससे नाराज होकर नमाज के दौरान ही सरताज ने अजीज के मुंह पर मुक्का मार दिया। वह लहूलुहान हो गए। इमाम नईम ने इसका विरोध किया। इसी बीच अब्बा अजीज के स्वजन आ गए। उन्होंने सरताज की धुनाई कर दी। उसे मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए मना कर दिया। इसके बाद भी सरताज की हरकतें बंद नहीं हुई। उसने लोगों से बदसलूकी करना जारी रखा। इसके बाद उसने मौलाना को गाली देते हुए तमंचे से दो गोली चलाई। एक गोली मौलाना के सिर से छूती निकल गई।
रिपोर्ट के मुताबिक इमाम नईम को गोली मारने के बाद आरोपी सरताज दिल्ली के गाजीपुर थाने पहुंच गया। जहां उसने पुलिस कहा उसने मेरठ में इमाम को गोली मारकर आया। पुलिस ने आरोपी पकड़ा लिया। मेरठ पुलिस ने संपर्क किया जिसके बाद लिसाड़ीगेट थाने की टीम आरोपी दिल्ली लेने रवाना हो गई।
दावा | इमाम को गोली मारने की घटना में दूसरे धर्म या उससे जुड़े लोगों की भूमिका। |
दावेदार | इजा, जाकिर, अनिरुद्ध । |
निष्कर्ष | मेरठ को इमाम से नाराज सरताज ने उसे गोली मारी थी। |
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