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अमित शाह ने नहीं किया अंबेडकर का अपमान, वायरल वीडियो एडिटेड है

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संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान, 17 दिसंबर को गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में संविधान के 75 वर्षों पर दो दिवसीय चर्चा के समापन पर अपना संबोधन दिया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला किया। उनके इसी संबोधन का एक वीडियो क्लिप कांग्रेस नेताओं द्वारा सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है। इस वीडियो में अमित शाह यह कहते हुए सुने जा सकते हैं, “अभी यह फैशन बन गया है कि अम्बेडकर, अम्बेडकर, अम्बेडकर कहा जाए। अगर इतना नाम भगवान का लिया होता, तो स्वर्ग मिल जाता।” हालाकि हमारी पड़ताल में यह वीडियो एडिटेड पाया गया।

कांग्रेस पार्टी ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ‘अभी एक फैशन हो गया है- अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर.. इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता.” अमित शाह ने बेहद घृणित बात की है.  इस बात से जाहिर होता है कि BJP और RSS के नेताओं के मन में बाबा साहेब अंबेडकर जी को लेकर बहुत नफरत है. नफरत ऐसी कि उनके नाम तक से इनको चिढ़ है. ये वही लोग हैं जिनके पूर्वज बाबा साहेब के पुतले फूंकते थे, जो ख़ुद बाबा साहेब के दिए संविधान को बदलने की बात करते थे. जब जनता ने इन्हें सबक सिखाया तो अब इन्हें बाबा साहेब का नाम लेने वालों से चिढ़ हो गई है. शर्मनाक! अमित शाह को इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए.‘

सुप्रिया श्रीनेत ने लिखा, ‘अभी यह फैशन चल गया है अंबेडकर अंबेडकर अंबेडकर नाम लेने का इतना नाम अगर भगवान का लेते तो स्वर्ग मिल जाता” अमित शाह बाबा साहेब का यह अपमान सिर्फ़ और सिर्फ़ वो आदमी कर सकता है जिसको उनके संविधान से चिढ़ है. और जिसके पुरखों ने शोषितों वंचितों के मसीहा बाबासाहेब के पुतले जलाये थे। आख़िर इन संघियों को बाबासाहेब के नाम तक से इतनी तकलीफ़ इतनी घृणा क्यों है?‘

इसके अलावा इस दावे को अरविंद केजरीवाल, पवन खेड़ा, जयराम रमेश और तेजस्वी यादव ने शेयर किया।

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फैक्ट चेक

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने 17 दिसंबर को संसद टीवी पर प्रसारित गृह मंत्री अमित शाह के संबोधन को सुना। वीडियो के 1 घंटे 7 मिनट के बाद अमित शाह ने कहा, “मान्यवर, अब यह फैशन हो गया है कि अम्बेडकर, अम्बेडकर, अम्बेडकर। अगर इतना नाम भगवान का लेते, तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।”

इसके बाद शाह ने कहा, “अम्बेडकर जी का नाम लेना अच्छी बात है, हमें तो आनंद है कि लोग अम्बेडकर का नाम लेते हैं। आप उनका नाम 100 बार और ज्यादा लो, लेकिन साथ में अम्बेडकर जी के प्रति आपका भाव क्या है। मैं बताता हूं कि अम्बेडकर जी ने पहली कैबिनेट से इस्तीफा क्यों दिया था। उन्होंने कई बार कहा कि वे एससी/एसटी समुदायों के खिलाफ हो रहे व्यवहार से असंतुष्ट हैं। उन्हें तत्कालीन सरकार की विदेश नीति और अनुच्छेद 370 से भी असहमति थी। इसलिए इन मुद्दों को लेकर वे कैबिनेट छोड़ना चाहते थे, लेकिन उन्हें आश्वासन दिया गया। हालांकि, वह आश्वासन पूरा नहीं हुआ, और अम्बेडकर जी को अनदेखा किए जाने के कारण उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।”

शाह ने आगे यह भी कहा, “श्री बी.सी. रॉय ने नेहरू को पत्र लिखा और पूछा कि राजा जी और अम्बेडकर जी जैसे दो महान व्यक्तियों के मंत्रिमंडल छोड़ने पर नुकसान नहीं होगा क्या? इस पर नेहरू ने जवाब देते हुए लिखा, ‘राजा जी के जाने से थोड़ा नुकसान तो होगा, लेकिन अम्बेडकर के जाने से कोई नुकसान नहीं होगा।”

दावासोशल मीडिया पर कांग्रेस नेताओं द्वारा अमित शाह का एक वीडियो साझा किया गया, जिसमें कहा गया कि उन्होंने अम्बेडकर का नाम लेने को व्यर्थ बताया।
दावेदारकांग्रेस पार्टी, अरविंद केजरीवाल, तेजस्वी यादव एवं अन्य
निष्कर्षवीडियो को संदर्भ से काटकर प्रस्तुत किया गया। अमित शाह ने राज्यसभा में कहा था कि अम्बेडकर का नाम लेना अच्छी बात है, लेकिन उनकी विचारधारा और उनके योगदान को समझना और लागू करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने अम्बेडकर के मंत्रिमंडल से इस्तीफे के कारणों का भी जिक्र किया।
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