पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर कश्मीर के एक स्कूल का वीडियो वायरल है। इस वीडियो में एक स्कूल में मंच से कुछ छात्राएं भजन गाते नज़र आ रही हैं, जबकि अन्य छात्राओं को ज़मीन पर बैठकर उसे सुनते हुए देखा जा सकता है। इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा बताया जा रहा है कि कश्मीर के स्कूल में मुस्लिम छात्राओं से जबरदस्ती हिंदू प्रार्थना करवाई जा रही है।
इसी क्रम में एक कट्टरपंथी पत्रकार ‘अली सोहरब’ ने यह वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, “पहलगाम (कश्मीर): संवैधानिक सेक्युलर लोकतंत्र द्वारा मुस्लिम छात्राओं से कराई जा रही गणेश आरती। अर्थात मुस्लिम लड़कियों का किया जा रहा ब्रेनवाश। वीडियो: सरकारी गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल सल्लर में मुस्लिम छात्राओ से गणेश आरती करवाते हुए।”
आगे ‘सुजा‘ नाम की ट्विटर यूजर ने भी इस वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा, “कश्मीर के एक सेकेंडरी स्कूल में मुस्लिम लड़कियों को हिंदू प्रार्थना पढ़ने के लिए मजबूर किया गया।”
वहीं ‘The Muslim space, ‘IND Story’s‘ और The Muslim समेत कई कटटरपंथियों ने इस प्रकार के ट्वीट किये हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या सच में यह दावा सही है? क्या सच में कश्मीर में स्कूली लड़कियों से जबस्दस्ती हिंदू प्रार्थना करवाई जा रही है? आइये जानते हैं इस दावे के पीछे का सच।
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फैक्ट चेक
अपनी पड़ताल में सबसे पहले हमने वीडियो को गौर से देखा। वीडियो में स्कूल का नाम दिख रहा है, जिससे पता चला कि यह वीडियो दक्षिण कश्मीर के पहलगाम के सल्लर स्थित गर्ल्स हाई स्कूल का है।
मामले की पुष्टि के लिए हमने स्कूल के प्रिंसिपल ‘मसूदा अख्तर’ से फोन पर बात की। उन्होंने बताया कि वीडियो हाल के समय का नहीं है, यह 2022 का है। इससे पहले भी यह वीडियो वायरल हो चूका है।
हमने सवाल किया कि क्या सच में मुस्लिम छात्राओं से जबरदस्ती हिंदू प्रार्थना करवाई गई? इसपर प्रिंसिपल ने कहा, “जिन दो लड़कियों ने गणेश वंदना सुनाई वह हिंदू हैं। हम अक्सर स्कूल असेंबली में बच्चों को कविता, गीत या कोई प्रार्थना सुनाने को कहते हैं। बच्चों को जो आता है वह अपनी इच्छा अनुसार सुनाती हैं। इसके लिए बच्चों पर कोई दवाव नहीं डाला जाता। वहीं गणेश वंदना सिर्फ दो लड़कियों ने पढ़ी, बाकी लड़कियां बस उन्हें सुन रही थीं.”
आगे हमने स्कूल के फेसबुक पेज को खंगाला। इस दौरान हमें प्रिंसिपल की बताई बातों पर यकीन हो गया। फेसबुक पेज पर हमें एक मुस्लिम छात्रा का वीडियो मिला, जिसमें वह पैगंबर मुहम्मद के बारे में बताने वाली कविता ‘नाट’ सुना रही है। इससे समझ आता है कि स्कूल में ऐसे कार्यक्रम होते रहते हैं।
हमने यह भी पाया कि जिस अकाउंट ने वीडियो को वायरल दावे के साथ शेयर किया था वह ‘मुज़म्मिल अय्यूब ठाकुर’ का था। इस अकाउंट पर भारत में ट्विटर द्वारा रोक लगा दी गई है।
हमारी पड़ताल में यह स्पष्ट हो गया कि कश्मीर के इस स्कूल में मुस्लिम छात्राओं को जबरदस्ती हिंदू प्रार्थना नहीं करवाई गई। गणेश वंदना पढ़ने वाली लड़कियां हिंदू हैं। ऊपर उल्लेख किए गए तमाम प्रमाण के आधार पर यह कहना उचित होगा कि इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा फैलाया जा रहा यह वीडियो भ्रामक है।
दावा | कश्मीर के एक स्कूल में मुस्लिम छात्राओं से जबरदस्ती हिंदू प्रार्थना करवाई गई |
दावेदार | इस्लामिक कट्टरपंथी |
फैक्ट चेक | भ्रामक |
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