सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में पुलिस भीड़ को आगे जाने से रोकते हुए दिख रही है। दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो बिहार में हो रहे महाबोधि महाबिहार मुक्ति आंदोलन का है। हालांकी हमारी पड़ताल में यह दावा भ्रामक साबित हुआ।
अशोक बौद्ध ने एक्स पर शेयर करते हुए लिखा, ‘हम लंबे समय से सिस्टम के दरवाजे खटखटा रहे हैं महाबोधि महाबिहार मुक्ति आंदोलन के लिए न्याय मांग रहे हैं और कुछ नहीं मिल रहा है अब उन दरवाजा को तोड़ने का समय आ गया है बिहार सरकार केंद्र सरकार शर्म करो।’
हम लंबे समय से सिस्टम के दरवाजे खटखटा रहे हैं महाबोधि महाबिहार मुक्ति आंदोलन के लिए न्याय मांग रहे हैं और कुछ नहीं मिल रहा है अब उन दरवाजा को तोड़ने का समय आ गया है बिहार सरकार केंद्र सरकार शर्म करो#BTact1949_Repeal#महाबोधि_मुक्ति_आंदोलन #ब्राह्मणों_महाबोधि_छोड़ो pic.twitter.com/5ZJIdHTiqJ
—Ashok Bauddha
(@AshokBuaddha) March 26, 2025
सितम मंदेरेले एवं दिया पल्लाविराज ने भी वायरल दावे के साथ वीडियो को एक्स पर शेयर किया।
फैक्ट चेक
वायरल वीडियो की पड़ताल के लिए हमने वीडियो के कीफ्रेम को रिवर्स सर्च किया। इस दौरान हमें यह वीडियो कृष्णा अल्लावारू नामक एक फेसबुक पेज पर 21 दिसम्बर 2024 को अपलोड मिला।

आगे पड़ताल में हमें अमर उजाला की 21 दिसम्बर 2024 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के अनुसार घटना राजस्थान की है, जहाँ प्रदेश युवा कांग्रेस ने बेरोजगारी और संविधान की रक्षा के मुद्दे पर प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया समेत कई वरिष्ठ नेताओं और सैकड़ों युवा कार्यकर्ताओं ने भाग लिया था।
दावा | वीडियो महाबोधि महाबिहार मुक्ति आंदोलन बिहार का है। |
दावेदार | अशोक बौद्ध, सितम मंदेरेले एवं दिया पल्लाविराज |
निष्कर्ष | वायरल वीडियो महाबोधि मुक्ति आंदोलन का नहीं है। यह वीडियो राज्यस्थान के जयपुर में युवा कांग्रेस द्वारा बेरोजगारी के खिलाफ मुख्यमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन का है। |