hate crime

मुख्तार अंसारी गरीबों का मसीहा था?

करीब ढाई साल से बांदा जेल में बंद पूरब के माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर रात हार्ट अटैक (कार्डिया अरेस्ट) से मौत हो गई। मुख्तार को मौत से करीब तीन घंटे पहले ही इलाज के लिए मंडलीय कारागार से मेडिकल कॉलेज लाया गया था। जहां नौ डॉक्टरों की टीम उसके इलाज में जुटी थी। रात करीब साढ़े दस प्रशासन ने मुख्तार की मौत की सूचना सार्वजनिक की।मुख्तार अंसारी की मौत के बाद सोशल मीडिया में उसे गरीबों का मसीहा बताया जा रहा है।

समाजवादी पार्टी के नेता याशर शाह ने एक्स पर लिखा, ‘मुख़्तार अंसारी साहब को आज कितना भी गुंडा माफिया कह लो आज के माहौल में सब जायज़ है। लेकिन ये भी सच है कि चाहे हिंदू हों या मुसलमान मैंने ग़रीबों में उस आदमी की पूजा होते देखी है।’

सदफ आफरीन ने लिखा, ‘”दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यों पर अत्याचार बंद करो बंद करो” सुना है कि गरीबों, मजबूरो, पीड़ितों के मसीहा थे मुख्तार अंसारी!’

वाजिद खान ने लिखा, ‘हिन्दू हो‌ या मुस्लिम सबके लिए मुख्तार मसिहा थे।। मुख्तार अंसारी 5 बार खुद MLA रहे, 5 बार भाई, 2 बार बड़े भाई, अभी भी 2 बेटे MLA, 2 बार भाई सांसद, सिर्फ 20% मुस्लिम आबादी वाले ग़ाज़ीपुर- मऊ पर 30 साल से राजनीति चला रहे हैं मोहम्मदाबाद फाटक के आस पास जितने गाँव बसे हैं सब उनकी पुश्तैनी जगह पर है हिन्दू हो‌ या मुस्लिम सबके लिए मुख्तार मसिहा थे।’

जाकिर अली त्यागी ने लिखा, ‘”अगर किसी ग़रीब को सताया जाता है तो मैं उन ज़ालिमों से मुक़ाबला करता हूँ, किसी माँ बहन की आबरू लूटी जाती है तो मैं उनका आंसू पोंछने का काम करता हूँ, अगर ये गुनाह है तो मुख़्तार अंसारी को नाज़ है ऐसे गुनाहों पर” – मुख्तार अंसारी’

वसीम अकरम त्यागी ने लिखा, ‘मौत उस की है करे जिस का ज़माना अफ़्सोस यूँ तो दुनिया में सभी आए हैं मरने के लिए। अलविदा #MukhtarAnsari साहब! अल्लाह आपकी मग़फिरत फरमाए।’

कविश अजीज ने लिखा, ‘कौन है मुख्तार अंसारी-लखनऊ के डालीबाग में एक रिक्शेवाले से पूछिए जवाब मिलेगा वो मसीहा था.. जो कहीं आपने मुख्तार को अपशब्द कहा तो बदले में वो गरीब रिक्शेवाला आपको गालियां भी देगा और बद्दुआ भी’

फैक्ट चेक

पड़ताल में हमे लल्लनटॉप की बेवसाईट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक मुख़्तार अंसारी पर हत्या, हत्या के प्रयास, धमकी, धोखाधड़ी और कई अन्य आपराधिक कृत्यों के कुल 65 मामले दर्ज हैं। केवल पिछले दो सालों में मुख़्तार को आठ केसों में दोषी ठहराया गया है, सज़ा सुनाई गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक साल 1991 में कांग्रेस नेता अजय राय के भाई अवधेश राय की हत्या की गयी थी। इस मामले में 33 साल बाद वाराणसी की MP MLA कोर्ट ने मुख़्तार अंसारी को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी, एक लाख का जुर्माना भी लगाया। अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक मुख्तार अंसारी गिरोह बनारस के व्यापारियों से रंगदारी मांगता था तो अवधेश राय ढाल बन कर खड़े हो जाते थे। नतीजतन अवधेश राय को रास्ते से हटाने की साजिश रचकर सुनियोजित तरीके से तीन अगस्त 1991 को उनकी हत्या उनके घर के सामने ही कर दी गई।

29 नवंबर, 2005 को गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के साथ 7 लोगों हत्या कर दी गयी। साल 2023 में अदालत ने मुख़्तार को 10 साल की जेल की सज़ा सुनाई और 5 लाख का जुर्माना लगाया। हिन्दुतान, आज तक की रिपोर्ट के मुतबिक साल 2002 विधानसभा चुनाव में कृष्णानंद राय ने अंसारी बंधुओं के प्रभाव वाली मोहम्मदाबाद सीट से अफजाल अंसारी को मात दी थी। इसके बाद अंसारी और कृष्णानंद राय के बीच 36 का आंकड़ा हो गया था। 29 नवंबर, 2005 को एक बड़ी घटना को अंजाम देते हुए कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या कर दी गई। बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के दौरान करीब 400-500 राउंड गोलियां चलाई गई थीं। हत्याकांड में मारे गए सात लोगों के शरीर से लगभग 67 गोलियां बरामद हुई और बाद में मामले के गवाह रहे शशिकांत राय की भी मौत हो गई।

अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2004 से नवंबर 2005 के बीच कृष्णानंद राय और उनके खेमे के 15 लोगों की हत्या हुई थी। फरवरी 2004 में कृष्णानंद राय के खास रहे अक्षय कुमार राय उर्फ टुनटुन पहलवान की गाजीपुर में सरेआम हत्या कर दी गई। 26 अप्रैल 2004 को कृष्णानंद राय के करीबी झिनकू की हत्या कर दी गई। फिर मोहम्मदाबाद रेलवे फाटक के समीप भाजपा कार्यकर्ता शोभनाथ राय की हत्या कर दी गई। 27 अप्रैल 2004 को दिलदारनगर में रामऔतार पर अंधाधुंध फायरिंग कर हत्या कर दी गई। लोकसभा चुनाव के बाद बाराचवर विकास खंड मुख्यालय पर कृष्णानंद राय के करीबी अविनाश सिंह पर अंधाधुंध फायरिंग की गई।

19 अप्रैल, 2009 को गाजीपुर के एक शिक्षक कपिल देव सिंह की हत्या कर दी गयी। हालांकि इस मामले के मूल केस में मुख्तार को बरी कर दिया गया लेकिन गैंगस्टर मामले में में कोर्ट ने उसे दोषी क़रार दिया है, 10 साल की सज़ा सुनाई और 5 लाख का जुर्माना ठोका।

आज तक की एक रिपोर्ट के मुताबिक 22 जनवरी 1997 को वाराणसी के कोयला व्यवसायी नंद किशोर रुंगटा का अपहरण कर हत्या कर दी गयी थी। मुख्तार ने रूंगटा के परिवार को फिरौती के लिए कॉल की और एवज में 5 करोड़ की फिरौती मांगी। परिवार ने यह रकम मुख्तार अंसारी को पहुंचा दी थी इसके बावजूद मुख्तार अंसारी ने नंदकिशोर को नही छोड़ा और उनकी हत्या कर दी। नंद किशोर रूंगटा की लाश आज तक नही मिली। नंद किशोर रुंगटा के अपहरण के बाद परिवार को धमकी देने के मामले में मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया, कोर्ट ने मुख्तार को इस मामले में साढ़े 5 साल की सजा सुनाई है।

दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक 4 अक्टूबर वर्ष 2005 को गाजीपुर के मऊ दंगा हुआ। इस भीषण दंगे में कुल 17 लोगों की जान गई थी। पूरा शहर जली हुई दुकानों के चलते मरघट सा दिख रहा था। जगह-जगह राख और ध्वस्त की गई दुकानों के मलबे बिखरे पड़े थे। 35 दिनों तक पूरा शहर कर्फ्यू की जद में रहा। इस दौरान खुली जिप्सी में हथियारबंद गुर्गों के साथ पिस्टल लिए बैठे मुख्तार का शहर में भ्रमण दंगाइयों की हौसला अफजाई के लिए काफी था। रिपोर्ट में बताया गया है कि भरत मिलाप के दौरान बिरहा कार्यक्रम की तैयारी चल रही थी। शाही मस्जिद से निकले कुछ लड़कों ने माइक का तार खींचकर स्पीकर गिरा दिया। इससे माहौल बिगड़ गया। पुलिस आरोपी 4 लड़कों को उनके घर से गिरफ्तार कर चुकी थी। सभी को कोतवाली भेज दिया गया। पुलिस फिर से कार्यक्रम शुरू करवाने की कोशिश कर रही थी। तभी किसी का कॉल आया और उन लड़कों को छोड़ दिया गया। दूसरे पक्ष की ओर से तत्कालीन विधायक मुख्तार अंसारी ने तुरंत अपने प्रभाव का प्रयोग कर लड़कों को छुड़ा दिया था। इसके बाद दंगा भड़क गया था।

मऊ दंगों में प्रह्लाद चौहान, बुधराम चौहान, राम प्रसाद चौहान, केदार चौहान, खर्चूर उर्फ चंद्र मोहन चौहान, केदार उर्फ नागुल चौहान समेत 15 लोगों के खिलाफ गैंगरेप का मुकदमा भी दर्ज हुआ। लेकिन साल 2023 में सभी 15 आरोपियों को सीबीआई ने बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इन सभी ने किसी प्रकार की दुष्कर्म की घटना नहीं की है। इन लोगों का कहना था कि इन सब के पीछे मऊ दंगे के मुख्य आरोपी मौजूदा विधायक रहे माफिया मुख्तार अंसारी का हाथ था, हमे झूठे मुकदमे में फंसाया गया।

वहीं एक मामले में जमानत पर सुनवाई करते हुए जुलाई 2022 में कोर्ट ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ दर्ज 56 आपराधिक मुकदमों का जिक्र करते हुए आदेश में कहा कि लोगों के दिल व दिमाग में अभियुक्त का भय है। ऐसे में कोई भी उसे या उसके आदमियों को चुनौती देने की हिम्मत नहीं करता। लिहाजा अभियोजन की इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि अभियुक्त जमानत पर बाहर आकर साक्ष्यों व गवाहों को प्रभावित करेगा। कोर्ट ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की यह त्रासदी है कि मुख्तार अंसारी जैसे अपराधी यहां विधि निर्माता हैं। यह भारतीय लोकतंत्र पर लगा एक दाग है।

साल 2023 में मुख्तार गैंग के सदस्य की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि देश का सबसे सबसे खूंखार आपराधिक गैंग मुख्तार अंसारी का गैंग है। दालत ने कहा, “यदि सरकार गवाहों को सुरक्षा नहीं देती है तो मुकदमे की निष्पक्ष सुनवाई और निष्पक्ष गवाही संभव नहीं है। भारत में देखा गया है कि गवाहों को जान से मारने या उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धमकी से गवाह मुकर जाते हैं और आरोपी बरी हो जाता है।”

हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट यह भी बताती है कि मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार का नाम सामने आया था। 1990 में गाजीपुर में ब्रजेश सिंह गैंग से मुख्तार अंसारी की दुश्मनी शुरू हो गई थी।

  • मुख्तार अंसारी ने 1990 में सीबीसीआईडी ​​ने विधायक रहते हुए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शस्त्र लाइसेंस हासिल किया था।
  • 1991 में चंदौली में मुख्तार पुलिस की पकड़ में आए थे लेकिन आरोप है कि रास्ते में दो पुलिसवालों को गोली मारकर वो फरार हो गया था। इसके बाद सरकारी ठेके, शराब के ठेके, कोयला के काले कारोबार को बाहर रहकर हैंडल करना शुरू कर दिया था।
  • 1996 में एएसपी उदय शंकर पर जानलेवा हमले में उसका नाम एक बार फिर सुर्खियों में आया था। 1996 में मुख्तार पहली बार एमएलए बना था।
  • 1997 में पूर्वाचल के सबसे बड़े कोयला व्यवसायी रुंगटा के अपहरण के बाद उसका नाम क्राइम की दुनिया में देश में छा गया था।
  • मऊ शहर के गाजीपुर तिराहे पर 29 अगस्त 2009 को ताबड़तोड़ गोली मारकर ठेकेदार मन्ना सिंह की हत्या कर दी गई थी। इसमें मुख्तार अंसारी को मुख्य साजिशकर्ता बनाया गया था।
  • ठेकेदार हत्याकांड में मुख्य गवाह बने रामसिंह मौर्य को आरटीओ आफिस के पास से 19 मार्च 2010 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसमें गवाह के साथ इसके अंगरक्षक सिपाही सतीश की भी मौत हो गई थी।

निष्कर्ष: मुख़्तार अंसारी एक दुर्दांत अपराधी था। लूट, हत्याएं, वसूली में उसकी भूमिका था। कई मामलों में उसे भारत की न्याय व्यवस्था ने सजा सुनाई है।

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