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दुर्दांत अपराधी मुख्तार अंसारी का ब्रिगेडियर उस्मान, कांग्रेस नेता मुख्तार अहमद, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से क्या रिश्ता है?

यूपी की बांदा जेल में बंद दुर्दांत अपराधी मुख्तार अंसारी की गुरुवार(27 मार्च 2024) देर रात कॉर्डिएक अरेस्ट से मौत हो गई है। मुख्तार पर मर्डर के 14 मामलों सहित कुल 63 केस चल रहे थे, जिनमें से 8 में उसे दोषी भी करार दिया जा चुका था। इस बीच भारत की न्याय व्यवस्था से हत्या, किडनैपिंग, गुंडा टैक्स, जबरन वसूली और अपहरण समेत तमाम अपराधों में दोषी करार मुख्तार के साथ महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर उस्मान और कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मुख्तार अहमद का नाम जोड़ा जा रहा है। उन्हें मुख्तार अंसारी का नाना और दादा बताया गया है। लोगों का यह भी कहना है कि मुख्तार अंसारी की माँ नौशेरा के नायक ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान की बेटी हैं। साथ ही पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को मुख्तार अंसारी का चाचा बताया जाता है।

जाकिर अली त्यागी ने एक पोस्ट में लिखा, ”विकास दूबे और मुख़्तार अंसारी की तुलना नही की जा सकती है! मुख़्तार के दादा डॉक्टर अहमद मुख्तार अंसारी देश की आज़ादी के लिए गांधी जी का साथ देने वाले नेता के रूप में जाने जाते है! मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान 1947 की जंग में भारत के लिए नौसेना के की तरफ़ से लड़े थे और शहीद हो गये जिसके लिए उन्हें महावीर चक्र से नवाज़ा गया था! मुख़्तार देश की बड़ी शख़्शियत पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के भतीजे है!

कविश अजीज ने लिखा, ‘विकास दूबे 5 बार विधायक बना था क्या?? विकास दूबे पार्लियामेंट में बैठता था क्या?? विकास दूबे के नाना ब्रिग्रेडियर थे क्या, क्या उन्हें महावीर चक्र दिया गया था?? विकास दूबे के दादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे क्या?? यह भीड़ तुम जैसे लुच्चे का कलेजा दिलाने के लिए बहुत है’

वसीम अकरम त्यागी ने लिखा, ‘डाॅ. मुख्तार अहमद अंसारी से लेकर ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान तक सब अंसारी परिवार से हैं। आज़ादी के लिए संघर्ष हो या फिर आज़ादी के बाद दुश्मन देश से भारत की ज़मीन को कब्ज़ा मुक्त कराने में इसी परिवार के ब्रिगेडियर उस्मान ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। ब्रिगेडियर उस्मान को नौशेरा का शेर कहा जाता है। पूरे देश मे यह इकलौता ऐसा परिवार है जिसके सबसे ज्यादा सदस्यों ने स्वाधीनता संग्राम में ना सिर्फ हिस्सा लिया, बल्कि अंग्रेज़ों की ग़ुलामी से इस देश को आज़ाद कराने में अहम किरदार निभाया है। इस परिवार के डेढ़ दर्जन से भी अधिक सदस्य स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। आज मुख्तार अंसारी के निधन पर अनाप शनाप टिप्पणी करने वाले लोग नासमझ हैं या मुख्तार के परिवार के योगदान से अनजान हैं, या फिर वो कुंठा और नफ़रती कोढ़ से ग्रस्त हो चुके हैं।’

वहीं Asianet News ने लिखा, ‘मुख्तार अंसारी का मातृ पक्ष भी देशभक्तों का परिवार रहा है। मुख्तार अंसारी की मां राबिया बेगम के पिता, जम्मू-कश्मीर के नौशेरा युद्ध के नायक रहे हैं। मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान थे। 1947 में वह भारतीय सेना की तरफ से लड़ते हुए शहीद हुए थे। बाद में उनको महावीर चक्र मिला था।’

फैक्ट चेक

अपनी पड़ताल में हमने मुख्तार अंसारी के परिवार का इतिहास जानने के लिए ‘ANSARIS OF YUSUFPUR‘ की मदद ली। इससे हमने अपने पाठकों के लिए एक आसान फैमली ट्री बनाया। इसके मुताबिक हसन बख्श के दो बेटे कादिर बख्श और वाहिद अली हैं। कादिर बख्श के चार बच्चे हुए, इनमे से एक बेटे का मोहम्मद बख्श हैं। वहीं मोहम्मद बख्श के 6 बच्चे हुए, इसमें से एक हाजी अब्दुर्रहमान के बेटे का नाम डॉ. मुख्तार अहमद था। डॉ. मुख्तार अहमद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक प्रमुख व्यक्ति थे और 1927 में इसके अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे। वहीं हसन बख्श के दूसरे बेटे वाहिद अली के साथ बच्चे हुए। इनमे से एक मोहम्मद हुसैन की पीढ़ी से उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी निकले वहीं अल्ताफ हुसैन की पीढ़ी से मुख्तार अंसारी हुए।

अंसारी परिवार की इस फैमली ट्री से पाठक आसानी से समझ सकते हैं कि मुख्तार अंसारी की माँ ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान की माँ नहीं हैं। साथ ही यह समझना भी आसान है कि मुख़्तार का हामिद अंसारी, ब्रिगेडियर उस्मान और डॉ. मुख्तार अहमद से कोसों दूर का रिश्ता है। इसके बावजूद दुर्दांत अपराधी मुख्तार अंसारी को उनसे जोड़ा जा रहा है। दरअसल यह तमाम कयासबाजी मुख्तार अंसारी के काले कारनामों पर पर्दा डालने के लिए है।

अवैध वसूली, ठेकेदारी, रंगदारी, जमीन कब्जाना, अपहरण, हत्याएं मुख्तार अंसारी का पेशा था।उसके खिलाफ कुल 65 मामले दर्ज हैं। केवल पिछले दो सालों में मुख्तार को आठ केसों में दोषी ठहराया गया है, सज़ा सुनाई गई। साल 1991 में कांग्रेस नेता अजय राय के भाई अवधेश राय की हत्या की गयी थी। इस मामले में 33 साल बाद वाराणसी की MP MLA कोर्ट ने मुख़्तार अंसारी को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी, एक लाख का जुर्माना भी लगाया।

29 नवंबर, 2005 को गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय समेत उनके गनर निर्भय उपाध्याय, ड्राइवर मुन्ना, कार सवार रमेश राय, श्यामशंकर राय, अखिलेश राय और शेषनाथ सिंह की हत्या कर दी गयी। जब कृष्णानंद राय के शरीर का पोस्टमॉर्टम हुआ, तो शव से कुल 67 गोलियां बरामद की गईं। कृष्णानंद राय हत्या मामले में कई चश्मदीद सामने आए। लेकिन समय के साथ ही कई चश्मदीदों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई या फिर केस वापस ले लिए गए। कृष्णानंद राय की हत्या का दोषी कौन था, यह कभी साबित नहीं हो सका। लेकिन पूर्वांचल की राजनीति से परिचित जानते हैं कि इन हत्याओं के पीछे मुख्तार ही था। हालाँकि इस हत्याकांड में गैंगस्टर को लेकर साल 2023 में अदालत ने मुख़्तार को 10 साल की जेल की सज़ा सुनाई और 5 लाख का जुर्माना लगाया। 19 अप्रैल, 2009 को गाजीपुर के एक शिक्षक कपिल देव सिंह की हत्या कर दी गयी। हालांकि इस मामले के मूल केस में मुख्तार को बरी कर दिया गया लेकिन गैंगस्टर मामले में में कोर्ट ने उसे दोषी क़रार दिया है, 10 साल की सज़ा सुनाई और 5 लाख का जुर्माना ठोका।

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22 जनवरी 1997 को वाराणसी के कोयला व्यवसायी नंद किशोर रुंगटा का अपहरण कर हत्या कर दी गयी थी। मुख्तार ने रूंगटा के परिवार को फिरौती के लिए कॉल की और एवज में 5 करोड़ की फिरौती मांगी। परिवार ने यह रकम मुख्तार अंसारी को पहुंचा दी थी इसके बावजूद मुख्तार अंसारी ने नंदकिशोर को नही छोड़ा और उनकी हत्या कर दी। नंद किशोर रूंगटा की लाश आज तक नही मिली। नंद किशोर रुंगटा के अपहरण के बाद परिवार को धमकी देने के मामले में मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया, कोर्ट ने मुख्तार को इस मामले में साढ़े 5 साल की सजा सुनाई है।

वहीं एक मामले में जमानत पर सुनवाई करते हुए जुलाई 2022 में कोर्ट ने कहा कि लोगों के दिल व दिमाग में अभियुक्त का भय है। ऐसे में कोई भी उसे या उसके आदमियों को चुनौती देने की हिम्मत नहीं करता। लिहाजा अभियोजन की इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि अभियुक्त जमानत पर बाहर आकर साक्ष्यों व गवाहों को प्रभावित करेगा। कोर्ट ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की यह त्रासदी है कि मुख्तार अंसारी जैसे अपराधी यहां विधि निर्माता हैं। यह भारतीय लोकतंत्र पर लगा एक दाग है।

साल 2023 में मुख्तार गैंग के सदस्य की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि देश का सबसे सबसे खूंखार आपराधिक गैंग मुख्तार अंसारी का गैंग है। दालत ने कहा, “यदि सरकार गवाहों को सुरक्षा नहीं देती है तो मुकदमे की निष्पक्ष सुनवाई और निष्पक्ष गवाही संभव नहीं है। भारत में देखा गया है कि गवाहों को जान से मारने या उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धमकी से गवाह मुकर जाते हैं और आरोपी बरी हो जाता है।”

पाठकों को अब यह समझना आसान होगा कि ब्रिगेडियर उस्मान, कांग्रेस नेता डॉ. मुख्तार अहमद, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के गौरवशाली परिवार पर दुर्दांत अपराधी मुख्तार अंसारी ने अपने कारनामों से दाग लगाया। इसे लेकर मुख्तार अंसारी पर सवाल उठने चाहिए, उसकी मजम्मत होनी चाहिए लेकिन हैरानी की बात है कि उनके नाम पर मुख्तार अंसारी का सम्मान करने की दुहाई दी जा रही है।

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