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सिंगरौली में महिला को जनसुनवाई से बाहर निकालने में जातिगत एंगल नहीं है

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सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ महिला पुलिसकर्मी एक महिला को घसीटते हुए ऑफिस से बाहर ले जा रही हैं। इस वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि यह घटना मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले की है, जहां एक दलित महिला जनसुनवाई के लिए पहुंची थी, लेकिन प्रशासन ने उसकी बात सुने बिना ही उसे जबरन बाहर निकाल दिया। इसके साथ ही देश में दलितों के खिलाफ बढ़ती बर्बरता का आरोप भी लगाया जा रहा है। हालांकि हमारी पड़ताल में इस घटना में किसी भी तरह का जातिगत एंगल नहीं पाया गया।

Udhokes नामक X अकाउंट ने लिखा, ‘मध्यप्रदेश के सिंगरौली में जनसुनवाई के दौरान शिकायत लेकर पहुंची एक दलित महिला को पुलिस ने घसीटकर बाहर निकाल दिया। मोदी शासन में आज भी दलितों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया जा रहा है।’

आदिवासी दर्शन ने लिखा, ‘जनसुनवाई में शिकायत लेकर आई दलित महिला को पुलिस ने घसीटकर बाहर निकाला, घटना मध्य प्रदेश के सिंगरौली की है। आजादी के इतने सालों बाद भी दलितों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया जाता है.? अधीकारी भी जाती देखकर न्याय करते हैं। बहुत दर्दनाक घटना..?’

द दलित वॉइस ने लिखा, ‘कलेक्टर की जनसुनवाई में शिकायत लेकर पहुंची एक दलित महिला को पुलिस ने घसीटकर बाहर निकाल दिया। यह घटना मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले की है। स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी दलितों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया जा रहा है, यह बेहद दुखद घटना है।’

इसके अलावा इस दावे को दलित आवाज़, ताशी बौद्ध, और शाहबाज आलम ने किया।

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फैक्ट चेक

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो की सच्चाई जांचने के लिए हमने वीडियो के की-फ्रेम्स का रिवर्स इमेज सर्च किया। इसके बाद हमें एमपी तक द्वारा 29 जनवरी को प्रसारित एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में कलेक्टर की जनसुनवाई के दौरान एक महिला ने हंगामा किया। रिपोर्ट में बताया गया कि महिला नशे की हालत में थी और कलेक्टर ऑफिस में हंगामा कर रही थी। जब स्थिति बेकाबू हो गई तो महिला कर्मचारियों और महिला पुलिसकर्मियों ने उसे घसीटकर बाहर निकाल दिया।

महिला ने हंगामे के दौरान आरोप लगाया कि उसकी सुनवाई नहीं हो रही है। वहीं प्रशासन ने स्पष्ट किया कि महिला की समस्या की पहले ही सुनवाई की जा चुकी थी। इसके अलावा सिंगरौली प्रशासन ने महिला के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में मामला दर्ज किया।

हमारी पड़ताल में दैनिक भास्कर और नवभारत टाइम्स द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट भी मिली। रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के सिंगरौली में आयोजित एक जनसुनवाई के दौरान हंगामा मच गया। जनसुनवाई में पहुंची महिला अजीबोगरीब हरकतें करने लगी और अधिकारियों के सामने इधर-उधर भागने लगी। इससे वहां अराजक स्थिति उत्पन्न हो गई और अधिकारियों को कुछ समझ नहीं आ रहा था। इसके बाद पुलिस ने महिला को घसीटते हुए एसपी ऑफिस से बाहर निकाला। वह करीब 1 बजे जनसुनवाई में पहुंची थी लेकिन उसके पास कोई आवेदन नहीं था। स्थानीय भाषा में महिला ने अधिकारियों को समझाने की कोशिश की कि उसके पड़ोस में रहने वाले भोला साहू, रामू और कुछ रिश्तेदार उसे जादू-टोना करने का आरोप लगाकर मारपीट कर रहे हैं। महिला का दावा था कि उसने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

अधिकारियों ने बताया कि महिला की शिकायत पर पहले भी कई बार कार्रवाई हो चुकी है। उन्होंने यह भी बताया कि महिला आदतन हर बार एसपी ऑफिस या कलेक्ट्रेट पहुंचकर इसी तरह हंगामा करती रहती है।

दावादलित महिला को जातिगत कारणों की वजह से जनसुनवाई के दौरान घसीट कर बाहर निकाल दिया गया.
दावेदारसोशल मीडिया यूजर्स
निष्कर्षवायरल वीडियो के साथ किया जा रहा जातिगत भेदभाव का दावा भ्रामक है। हमारी पड़ताल में कहीं भी जातिगत एंगल की पुष्टि नहीं हुई। महिला की शिकायत पहले भी सुनी जा चुकी थी लेकिन वह बार-बार प्रशासनिक दफ्तरों में हंगामा करती रहती है।


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