टीवी चैनलों पर एक खबर सुर्ख़ियों में है। खबर है कि केंद्र सरकार दिल्ली की जामा मस्जिद समेत वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को वापस अपने कब्जे में लेगी। इसके बाद सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर बवाल मच गया। इस्लामिक कट्टरपंथी और प्रोपोगेंडा पत्रकारों समेत कई लोगों ने इसपर ट्वीट कर आपत्ति जताई।
इसी क्रम में प्रोपोगेंडा पत्रकार ‘अली सोहरब‘ ने ‘TIMES NOW नवभारत’ के हवाले से इस खबर को ट्वीट किया, जिसमे ऐतिहासिक जामा मस्जिद की तस्वीर साझा कर दावा किया गया की केंद्र सरकार वक़्फ़ बोर्ड से इससे अपने कब्जे मे ले रही है। सोहरब ने लिखा, “संवैधानिक संरक्षण में बाबरी मस्जिद मस्जिद की जगह मंदिर बनाया जा रहा, संवैधानिक संरक्षण में अनगिनत मज़ार, मदरसे आदि विध्वंस किये जा चुके हैं, अनगिनत मस्जिदों पर संवैधानिक न्यायपालिका में विवादित संपत्ति घोषित करने का केस चल रहा है, अगला निशाना जामा मस्जिद समेत पूरी बक्फ़ की पूरी प्रॉपर्टी समेत मुसलमानों की प्रॉपर्टी को संवैधानिक संरक्षण में हड़पने का है! “बाकी सब खैरियत है”
वहीं ट्विटर पर खुद को फैक्ट चेकर बताने वाले ‘उवेद मुअज्जम‘ ने ट्वीट किया, “बाबरी मस्जिद तोड़ी सब्र किया, मज़ार तोड़े गये सब्र किया, मदरसे तोड़े गये सब्र किया, मस्जिदों को बुलडोज़र से तोड़ा सब्र किया. अगला निशाना है “ जामा मस्जिद ” और ‘बक्फ़ बोर्ड ’ सब्र करिए बेशक अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है।”
सभी के द्वारा यह न्यूज़ TIMES NOW नवभारत के हवाले से चलाई गई, लेकिन नवभारत इस लिस्ट में एकलौता चैनल नहीं है। भारत एक्सप्रेस नाम के न्यूज़ चैनल ने भी इस खबर को जामा मस्जिद के विज़ुअल्स के साथ चलाया है।
वहीं ABP न्यूज़ ने भी पुरानी दिल्ली स्थित जामा मस्जिद के विज़ुअल्स के साथ खबर दिखाई है।
ट्विटर पर हमें इसी प्रकार के दावों से कई ट्वीट मिले हैं। अब सवाल उठता है कि क्या सच में सरकार दिल्ली की ऐतिहासिक जमा मस्जिद पर कब्ज़ा कर रही है? आइये जानते हैं इस दावे की सच्चाई।
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जामा मस्जिद के टेकओवर की खबर का सच जानने के लिए हमने सबसे पहले कुछ कीवर्ड की मदद से गुगल सर्च किया। इस दौरान हमें जनसत्ता की एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक “दिल्ली वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने नोटिस जारी किया है। गौरतलब है कि पूर्व PM मनमोहन सिंह की सरकार ने जामा मस्जिद को वक्फ बोर्ड दे दिया था, लेकिन अब सरकार दिल्ली की महत्वपूर्ण 123 संपत्तियों को वापस लेगी।” वहीं जनसत्ता की रिपोर्ट में या भी बताया गया है कि जिस मस्जिद को इस लिस्ट में शामिल किया गया वो लाल किले के पास वाली जामा मस्जिद नहीं है। ये अलग मस्जिद है जो सेंट्रल दिल्ली में मौजूद है।
वहीं NEWS 18 India ने अपने यूट्यूब चैनल पर इस खबर से जुडी जानकारी दी है। इस रिपोर्ट में भी यही बताया गाया है कि जिस मस्जिद को इस लिस्ट में शामिल किया गया वो लाल किले के पास वाली जामा मस्जिद नहीं है। ये अलग मस्जिद है जो सेंट्रल दिल्ली में मौजूद है, जिसे पार्लियामेंट मस्जिद के नाम से जाना जाता है। यह संसद के ठीक सामने स्थित है। NEWS 18 के रपोर्टर ने मस्जिद के इमाम मोहिबुल्लाह से भी बात की है।
The Hindu की रिपोर्ट में भी यही बताया गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार सोमवार को संसद भवन के सामने स्थित जामा मस्जिद का निरीक्षण किया जाएगा।
हमारी पड़ताल में यह स्पष्ट हो गया कि सरकार द्वारा दिल्ली के ऐतिहासिक जामा मस्जिद को नहीं बल्कि संसद भवन के सामने स्थित पार्लियामेंट मस्जिद को टेकओवर किया जा रहा है। जानकारी के लिए आपको बताते चले कि यह सभी प्रॉपर्टी पहले सरकार के अधीन थी, जिसे कांग्रेस साकार ने 2014 में वक्फ बोर्ड को दान कर दी थी। ऊपर उल्लेख किए गए तमाम प्रमाण के आधार पर यह कहना उचित होगा कि यह दावा भ्रामक है।
दावा | दिल्ली के ऐतिहासिक जामा मस्जिद को कब्जे में लेगी सरकार |
दावेदार | अली सोहर, उवेद मुअज्जम, TIMES NOW नवभारत, ABP न्यूज, भारत एक्सप्रेस |
फैक्ट चेक | भ्रामक |
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