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विश्लेषण: किसान आन्दोलन में बलात्कार और हत्याएं हो रही थीं?

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सोशल मीडिया में अभिनेत्री और भाजपा सांसद कंगना रनौत का एक वीडियो वायरल है। दैनिक भास्कर के साथ इंटरव्यू के इस वीडियो में कंगना ने कहा कि पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे। वहां रेप और हत्याएं हो रही थीं। इस मामले में लोग प्रतिक्रिया देते हुए कंगना के दावों को झूठा करार दे रहे हैं।

कांग्रेस नेता श्रीनिवासन बीवी ने लिखा, ‘पहले किसानों को ख़ालिस्तानी, पाकिस्तानी, आतंकवादी, मवाली बताया करते थे भाजपा नेता, अब बलात्कारी और हत्यारा भी बताया जाने लगा है। क्या नरेंद्र मोदी किसानों के लिए कही गई बातों पर कंगना से सहमत हैं?’

विनोद कापड़ी ने लिखा, ‘ऐसे ही नफ़रती और मूर्खों को पाल पोस कर नरेंद्र मोदी 240 तक पहुँचे हैं.. अब 40 की तैयारी चल रही है !’

रमनदीप सिंह मान ने लिखा, ‘कंगना रनौत के रही है की दिल्ली किसान आंदोलन में लाशें लटकी थी, बलात्कार होते थे; कह रही है की किसान आंदोलन सरकार गिराने की साजिश थी, सरे आम झूठ बोलने का महारथ हासिल है इस मैडम को कोई पूछे BJP की नई नई सांसद से की अगर किसान के अपने हक मांगने से सरकार गिरती है तो इसमें क्या गलत है’

कांग्रेस समर्थक नीरज झा ने लिखा, ‘CISF की सुरक्षा अधिकारी ने @KanganaTeam को थप्पड़ मारा था न! दरअसल कंगना रनौत के बयान शर्मिंदगी को भी शर्मिंदा करने वाले होते हैं। कहती हैं फार्मर्स प्रोटेस्ट में रेप हो रहे थे। ये आंदोलनकारियों को गाली दी जा रही है। अगर ऐसा था, तो क्या कर रही थी सरकार?’

कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत ने लिखा, ‘BJP सांसद कंगना जी का लेटेस्ट बयान है कि “किसान आंदोलन में लंबी प्लानिंग थी, बांग्लादेश जैसी. और इसके पीछे चीन अमेरिका जैसी विदेशी शक्तियों काम कर रहीं हैं”1) क्या यह कंगना जी की निजी राय है या यह BJP और सरकार का मत है?2) क्या BJP और सरकार भी यह मानती है कि अमेरिका और चीन हमारे देश के अंदर अस्थिरता कर रहे है?3) अगर मोदी सरकार को लगता है कि विदेशी ताक़तें हमारे देश के अंदरूनी मामलों में दखल दे रहे हैं, तो इसके बारे में क्या कदम उठाये जा रहे हैं?किसानों को BJP नेताओं ने बहुत अपशब्द बोले हैं, अब उनकी सांसद अन्नदाताओं को हत्यारे और बलात्कारी भी बोल रहीं हैं – इसका जवाब हम नहीं – बस कुछ दिनों में हरियाणा देगालेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल खड़े किए गए हैं – तो BJP और सरकार को जवाब तो देना ही पड़ेगा और अगर ऐसा नहीं है तो यह सांसद कान पकड़ कर माफ़ी माँगें!’

वांमपंथी लेखिका सुजाता ने लिखा, ‘किसान आंदोलन में रेप होते थे- कंगना रानौत इतनी लापरवाही और ग़ैर ज़िम्मेदारी से यह महिला ज़बान खोलती है! माफ़ी माँगनी चाहिए किसानों से तुरंत.’

जैकी यादव ने लिखा, ‘कंगना रनौत ने एक बहुत ही बड़ा खुलासा किया है, कंगना रनौत ने एक इंटरव्यू में कहा कि “यहां पर जो फार्मर्स प्रोटेस्ट हुए, वहां पर लाशें लटकी थीं, वहां पर रेप हो रहे थे” फार्मर्स प्रोटेस्ट के दौरान हम सबने सारी खबरों को बड़ी ही गहराई से कवर किया था मगर शायद हम लोगों ने यह ख़बर नहीं सुनी होगी जो आज कंगना रनौत जी ने बताई है।’

फैक्ट चेक

केंद्र की मोदी सरकार सितम्बर 2020 में लोकसभा और राज्यसभा में किसान बिल 2020 लेकर आती है। दोनों सदनों से यह बिल पास भी हो जाता है लेकिन किसान संगठन इसका विरोध करते हैं। इसके बाद नवंबर 2020 में किसान दिल्ली के बॉर्डर पर धरने पर बैठ जाते हैं। 14 महीने की तकरार के बाद 29 नवंबर 2021 को लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों से बिना किसी चर्चा के ध्वनिमत से कृषि कानून वापस ले लिया गया। 11 दिसंबर को किसानों ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया और दिल्ली बॉर्डर पर विजय दिवस मनाया।

दलित युवक की बर्बरता से हत्या
अपनी पड़ताल में हमने किसान आन्दोलन से सम्बन्धित मीडिया रिपोर्ट्स को सर्च किया तो दैनिक भास्कर पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। तीन साल पुरानी इस रिपोर्ट के मुताबिक एक दलित युवक लखवीर सिंह का शव संयुक्त किसान मोर्चा की स्टेज के पास लटका मिला। किसान आन्दोलन में शामिल निहंग सिखों ने गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के आरोप में उसकी हत्या कर दी, युवक का एक हाथ और एक पैर काट दिया गया।

वहीं न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने इस मामले में निहंग सिख सरबजीत सिंह और नारायण सिंह को गिरफ्तार किया। नारायण सिंह ने पूछताछ में बताया कि उसके पैर को तीन वार से काट दिया। इसके बाद अन्य लोगों ने लखबीर के शव को किसान आंदोलन के पास लगे पुलिस बैरिकेड्स पर लटका दिया। साथ ही यह भी पता चला है कि हमले के बाद पीड़ित करीब 45 मिनट तक तड़पता रहा था। पूछताछ में नारायण सिंह ने कहा कि मुझे कोई पछतावा नहीं है।

दलित युवक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक उस पर धारदार हथियार से हमला किया गया। उसका एक हाथ कलाई से काटा गया है और गर्दन पर चोट के साथ ही शरीर पर 10 से ज्यादा चोट के निशान मिले थे। उसका एक पैर भी काटा गया लेकिन वह शरीर से अलग नहीं हो सका। रिपोर्ट में मौत का कारण चोट और ज्यादा खून बहना था। इसके अलावा युवक को रस्सी से बांधकर लटकाया गया था, शरीर पर रगड़ने के निशान भी मिले थे। इस मामले में नारायण सिंह की गिरफ्तारी से पहले उसे अमृतसर में सिख समुदाय के बीच सम्मानित भी किया गया। अमृतसर में उसे सम्मानित करते हुए नोटों की माला भी पहनाई गई।

युवक को जिन्दा जलाया
इसके बाद हमे 17 जून 2021 को पंजाब केसरी पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक किसान आन्दोलन में शामिल युवक मुकेश को जिन्दा जला दिया गया, बाद में उसकी मौत हो गयी। रिपोर्ट में बताया गया है कि मुकेश किसान आंदोलन में शामिल 4 लोगों के साथ आंदोलन स्थल पर ही शराब पी रहा था। इस दौरान किसी बात को लेकर उनमें झगड़ा हो गया, जिसक बाद आरोपियों ने मुकेश पर तेल छिड़क कर आग लगा दी।

वहीं News 18 की रिपोर्ट के मुताबिक मुकेश की मौत के बाद एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो वीडियो अंधेरे में है, उसमें चेहरा नहीं है सिर्फ आवाज सुनाई दे रही है। इस वीडियो में मृतक कह रहा, उसने आग खुद लगाई है। मृतक ने कहा वो घर वालों से था परेशान, बीवी से भी झगड़ा हुआ था। हालाँकि मृतक की पत्नी ने कहा कि इस वीडियो में उसके पति की आवाज नहीं है।

इस घटना में दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक आंदोलन स्थल पर मुकेश मुदगिल को पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जला देने के मामले में गिरफ्तार आरोपित कृष्ण पंजेठा को पुलिस ने स्थानीय अदालत में पेश किया। पूछताछ के बाद पुलिस ने खुलासा किया है कि मुकेश मुदगिल को जलाकर मार डालने की वारदात को आरोपित ने स्वीकार कर लिया है। वारदात में चार आरोपित शामिल थे। घटना वाली रात मृतक मुकेश ने कृष्ण, संदीप और दो अन्य आंदोलनकारियों के साथ बैठकर शराब पी रहे थे। इसी दौरान मृतक ने किसान आंदोलन को लेकर कुछ टिप्पणी कर दी। यह कृष्ण व अन्य को नागवार गुजरी। इसके बाद गुस्से में आरोपितों ने इस घटना को अंजाम दिया।

किसान आन्दोलन में शामिल युवती से गैंगरेप
किसान आन्दोलन से सम्बंधित 10 मई 2021 को अमर उजाला की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक किसान आंदोलन में भाग लेने पश्चिम बंगाल से आई युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ। बाद में उसकी कोरोना से मौत हो गयी। पुलिस ने आरोपियों अनिल मलिक, अनूप सिंह, अंकुश सांगवान, जगदीश बराड़, कविता आर्य और योगिता सुहाग पर धारा 376, 354, 365 और 342 के तहत केस दर्ज किया।

वहीं NBT की रिपोर्ट के मुताबिक युवती से गैंगरेप मामले में मुख्य आरोपित अनिल ने पूछताछ में खुलासा किया है कि उसने पीड़िता का अश्लील विडियो बना लिया था, जिसके आधार पर वह ब्लैकमेल कर रहा था। डीएसपी ने बताया कि मुख्य आरोपित अनिल की गिरफ्तारी होने के बाद यह भी सामने आया है पीड़िता आरोपितों के पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रचार के दौरान ही संपर्क में आई थी। बाद में यह उसे किसान आंदोलन में शिरकत करने के लिए टिकरी बॉर्डर के आंदोलन स्थल पर ले आए लेकिन बीच रास्ते पीड़िता के साथ अनिल ने दुष्कर्म किया और अंकुर ने छेड़खानी की। 12 अप्रैल को आंदोलन स्थल पर आने के बाद टैंट में भी पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया गया। यहां विडियो का पता चलते ही दूसरे आरोपित अनूप ने दबाव बनाकर पीड़िता से दुष्कर्म किया।

मुर्गे के लिए काट दिया युवक का पैर
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में बताया गया है कि किसान आन्दोलन में शामिल निहंग नवीन संधू ने कुंडली बॉर्डर के पास मुर्गा सप्लाई करने वाले मजदूर मनोज पासवान से मारपीट की। निहंग ने मजदूर से मुर्गा मांगा था, जब मजदूर ने मुर्गा देने से इनकार कर दिया तो निहंग ने लाठी से पीट-पीटकर उसकी टांग तोड़ दी।

रास्ता मांगने पर युवक को पीटा
वहीं 13 अप्रैल 2021 को अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक शेखर और सन्नी किसानों के धरने वाले कैंप के पास से होकर निकल रहे थे तो वहां पर कुछ निहंगों की पुलिसकर्मियों से बहस चल रही थी। इससे रास्ता बंद था। शेखर एक किनारे से होकर बाइक निकालने का प्रयास करने लगा तो उसका एक निहंग युवक के साथ रास्ते को लेकर विवाद हो गया। निहंग ने रास्ता रोक लिया। विवाद होने पर निहंग ने सन्नी पर तलवार से वार कर दिया। उसके साथी शेखर ने बाजू ऊपर कर वार को रोकने का प्रयास किया। इससे शेखर की बाजू कट गई। निहंग ने दूसरा वार करने के लिए तलवार उठाई तो शेखर ने उसको पकड़ लिया। छीनाझपटी में तलवार से उसके कंधे और पीठ पर चोट लग गई। शेखर और सन्नी बाइक लेकर वहां से भाग निकले। इस मामले में आरोपी मनप्रीत को कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई थी।

पूर्व सरपंच पर हमला
अमर उजाला की 14 जून 2021 की रिपोर्ट में बताया गया है कि हरियाणा के कुंडली के सेरसा गांव के पूर्व पंच रामनिवास ने शाम को कुंडली से अपने गांव सेरसा आ रहे थे। जांटी मोड़ पर कुछ लोगों ने रास्ता बंद कर रखा था। उसने रास्ता खोलने की मांग की तो उस पर हमला कर दिया। किसानों ने उस पर लाठी व डंडे से हमला किया। उन्होंने प्रॉपर्टी डीलर के कार्यालय में घुसकर जान बचाई। रामनिवास का आरोप है कि उसकी कार का शीशा भी तोड़ दिया गया। उन्होंने मामले की शिकायत कुंडली थाना पुलिस को दी।

वहीं स्थानीय लोगों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि आंदोलनकारियों द्वारा जीटी रोड बंद करने के कारण क्षेत्र के उद्योग-धंधे चौपट हो चुके हैं। उद्योगपति पलायन कर रहे हैं। दिल्ली में कोचिंग करने वाले बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। यहां तक की इनके बीच हमारी बहन-बेटियां भी सुरक्षित नहीं है। लोगों ने आरोप लगाया कि गांवों के संपर्क मार्ग तक बंद करके उनको कैद कर दिया है और नशा कर रातभर ट्रैक्टरों को गांवों में दौड़ाया जाता है। इस तरह की हरकतों का विरोध करने पर मारपीट तक की जाती है। साथ लोगों को किसी भी काम से बाहर निकलना भी इन लोगों ने दुभर कर दिया है। जब चाहे जिसका हाथ काट देते हैं। किसी लड़की को अगवा कर लिया जाता है। गांवों से बहन-बेटियों का निकलना मुश्किल हो गया है।

किसान आन्दोलन क्षेत्र के आसपास से लड़कियां गायब
24 जून 2021 को अमर उजाला पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक किसान आंदोलन में शामिल युवक कर्ण क्षेत्र की नाबालिग को बहकाकर ले गया। आरोपी ने नाबालिग को चार दिन तक पंजाब के अमृतसर में रखा। नाबालिग ने अपने परिजनों को फोन पर बताया कि वह पंजाब के अमृतसर में है। नाबालिग के परिजन कुंडली थाना पुलिस के साथ पंजाब के अमृतसर पहुंचे और वहां से बेटी को बरामद कर लिया।

इसी मामले में दैनिक जागरण की रिपोर्ट में बताया गया है कि आंदोलन वाले क्षेत्र के आसपास की कालोनियों से लगातार लड़कियाें के लापता होने या गायब होने की शिकायत पुलिस को मिली। अगवा की गई दो नाबालिग किशोरी पंजाब से बरामद हुई। स्थानीय लोगों का कहना है कि आंदोलन में आने वाले युवक दिनभर कालोनी और आसपास के क्षेत्रों में मंडराते रहते हैं। गायब होने वाली चार नाबालिग लड़कियों और दो युवतियों में सभी का ताल्लुक गरीब परिवाराें से है। मेहनत-मजदूरी करने वाले परिवारों की बेटियों को निशाना बनाया जा रहा है।

किसान आन्दोलन में खालिस्तान और भड़काऊ बयान
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक किसान आंदोलन में सिंघु बॉर्डर पर बुक स्टॉल से ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाला और पंजाब में अलगाववाद का समर्थन करने वाले उनके साथियों का महिमामंडन करने वाली किताब शहीद-ए-खालिस्तान बांटी गईं।

इस कार्यक्रम के मुख्य कर्ता-धर्ता रंजीत सिंह शुरू से ही किसान आंदोलन से जुड़े हैं। सिंघु बॉर्डर पर लगे किसान मोर्चा के मंच पर रंजीत सिंह भाषण देते हुए नजर आ रहा है। उनका बैकग्राउंड खालिस्तानी संगठनों के साथ सहानुभूति रखने वाला रहा है। रंजीत सिंह दल खालसा से जुड़े हुए हैं और स्वर्ण मंदिर में खालिस्तान के पोस्टर और बैनर लहरा चुके हैं।

पंजाबी गायक प्रीत हरपाल ने किसान आन्दोलन का समर्थन किया। वो आन्दोलन स्थल पर भी पहुंचे और आन्दोलन के समर्थन ‘पंजाब वर्सेज दिल्ली’ गाना भी लॉन्च किया। प्रीत हरपाल का एक वीडियो भी सामने आया, इसमें उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को संबोधित करते हुए कह रहा है कि मेरी एक विनती है कि आप सुबह-शाम जो पूजा-पाठ करते हैं, उसमें आप ये अरदास जरूर करें कि खालिस्तानियों से आपका पाला न पड़े। जिनका उनके साथ पाला पड़ा है उनकी साल छह महीने बाद श्रद्धांजलियां ही होती हैं। फोटो पर फूल-मालाएं डालकर। इसलिए मेरी विनती है कि खालिस्तानियों से पाला ना पड़े, तुम किसानों तक ही सीमित रहो।

किसान आन्दोलन के दौरान केंद्र सरकार से बातचीत को लेकर आंदोलनकारी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमारी मीटिंग हैं, उसमे कुछ हल नहीं होता तो हम इनको वैसे ही बैठा देंगे। हमने इंदिरा गाँधी ठोंक दी, मोदी की छाती पे…

इसी किसान आन्दोलन में शामिल योगराज सिंह ने लोगों को संबोधित करते हुए हिंदुओ को गद्दार कहा। योगराज सिंह ने कहा कि इनकी औरतें टके-टके के भाव बिकती थीं (उनकी महिलाओं को दो सेंट में बेचा जाता था)। जब अहमद शाह दुर्रानी जैसे लोगों ने उनकी महिलाओं और बेटियों का अपहरण कर लिया और उन्हें मामूली रकम में बेच दिया तो हम सिखों ने ही उन्हें बचाया।

योगराज सिंह ने किसानों से अपने बीच एक और भिंडरावाले को पैदा करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यहां हर व्यक्ति एक ‘जरनैल’ है। अगर आप पंजाब को बचाना चाहते हैं, तो सुनिश्चित करें कि सत्ता आपके हाथ में हो। अगर सत्ता आपके हाथ में है, तो आप पंजाब की धरती से एक नया सूरज उगता हुआ देखेंगे।

हम भारत माता की जय, जय हिंद नहीं कहेंगे
किसान आन्दोलन शामिल एक शख्स ने कहा कि हम भारत माता की जय, जय हिंद नहीं कहेंगे। हमारा मुसलमान, सिख, ईसाई, मानवतावादी नारा चलेगा।

किसान आन्दोलन से व्यापार को नुकसान
किसान आन्दोलन से सम्बंधित दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक कारोबारी संगठनों के समूह कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने दावा किया है कि दिल्ली और आसपास के राज्यों में एक साल से चल रहे कृषि कानून विरोधी आंदोलन के कारण अब तक करीब 60 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का नुकसान हो चुका है। आंदोलनकारियों द्वारा राजमार्ग अवरुद्ध करने से साामान की आवाजाही प्रभावित होने से यह नुकसान हुआ है।

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