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आरएसएस ने जातिगत जनगणना का विरोध नहीं किया

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सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें बताया जा रहा है कि आरएसएस ने जातिगत जनगणना का विरोध किया है। दावा किया जा रहा है कि आरएसएस ने जातिगत जनगणना को समाज की एकता और अखंडता के लिए खतरा बताया है। हालांकि हमारी पड़ताल में यह दावा गलत साबित हुआ।

कांग्रेस के आधिकारिक एक्स हैंडल ने लिखा, ‘RSS ने जातिगत जनगणना का खुलकर विरोध कर दिया है। RSS का कहना है- जातिगत जनगणना समाज के लिए सही नहीं है। इस बयान से साफ है कि BJP और RSS जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहते। वे दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को उनका हक नहीं देना चाहते। लेकिन लिखकर रख लीजिए- जातिगत जनगणना होगी और कांग्रेस ये कराएगी।’

सपा नेता आईपी सिंह ने लिखा, ‘आरएसएस का मुखिया सर संघ चालक महाराष्ट्र के चितपावन ब्राहमण के अलावा कोई दूसरा नहीं बन सकता। आजतक संघ चालक दलित या पिछड़े वर्ग का नहीं हुआ। RSS/BJP घोर सवर्ण वादी संगठन है वह क्यों चाहेगा कि देश में जातिगत जनगणना हो और उस आधार पर SC OBC सबको आरक्षण मिल सके। BJP को सत्ता से हटाने के बाद ही जातिगत जनगणना संभव लगता है।’

कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने लिखा, ‘RSS ने कहा कि ‘जातिगत जनगणना समाज की एकता और अखंडता के लिए ख़तरा है’ मीडिया ने यह खबर दिखानी शुरू की. फिर थोड़ी ही देर में यह खबर डिलीट करवायी जाने लगी। आख़िर इस खबर से कौन असहज हुआ, किसने खबर डिलीट करने के आदेश दिये? कौन RSS के विरोध को छुपाना चाहता है? पर RSS हमेशा से जातिगत जनगणना और आरक्षण के ख़िलाफ़ रहा है। पहले भी संघ प्रमुख भागवत ने आरक्षण की समीक्षा की माँग की थी। संघ के प्रसार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने आरक्षण का विरोध किया था। गुरु गोलवलकर ने आरक्षण पर आपत्ति जतायी थी। RSS माने या ना माने, BJP के अंदर हिम्मत हो या ना हो – जातिगत जनगणना तो हो कर रहेगी। मोदी जी, आप नहीं करा पायेंगे – कोई बात नहीं- हम करायेंगे।’

बोलता हिन्दुस्तान ने लिखा, ‘जात‍िगत जनगणना से समाज की एकता और अखंडता को खतरा हो सकता है : RSS’

कांग्रेस नेता श्रिनिवास बीवी ने लिखा, ‘RSS ने खुलकर किया जातिगत जनगणना का विरोध।’

लालू प्रसाद यादव ने लिखा, ‘इन RSS/BJP वाला का कान पकड़, दंड बैठक करा इनसे जातिगत जनगणना कराएंगे। इनका क्या औक़ात है जो ये जातिगत जनगणना नहीं करायेंगे? इनको इतना मजबूर करेंगे कि इन्हें जातिगत जनगणना करना ही पड़ेगा। दलित, पिछड़ा, आदिवासी और गरीब का एकता दिखाने का समय अब आ चुका है।’

वहीं कांग्रेस नेता सुरेन्द्र राजपूत, डॉ. अरुणेश कुमार यादव, विशाल ज्योतिदेव अग्रवाल, इंडियन यूथ कांग्रेस अंकिता सिंह और आवाज इंडिया ने भी यही दावा किया है।

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फैक्ट चेक

पड़ताल में हमें एक्स पर न्यूज़ एजेंसी ANI द्वारा पोस्ट वीडियो मिला। इस वीडियो में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने जाति आधारित जनगणना पर कहा कि हमारे हिंदू समाज में, हमारी जाति और जाति संबंधों का एक संवेदनशील मुद्दा है… यह हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता का एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, इसलिए इसे बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए, न कि केवल चुनाव या राजनीति के लिए… सभी कल्याणकारी गतिविधियों के लिए, विशेष रूप से किसी विशेष समुदाय या जाति को संबोधित करना जो पिछड़ रहे हैं और जिन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, इसलिए उसके लिए, यदि कभी सरकार को संख्याओं की आवश्यकता होती है तो वह उन्हें ले सकती है। इसने (सरकार ने) पहले भी (संख्याएँ) ली हैं, वह इसे ले सकती है, कोई समस्या नहीं है। लेकिन यह केवल उन समुदायों और जातियों के कल्याण को संबोधित करने के लिए होना चाहिए। इसे चुनाव प्रचार के लिए एक राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए और इसलिए हमने सभी के लिए एक चेतावनी रेखा रखी है।

पड़ताल में आगे हमें दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट मिली। जिसमें बताया गया है कि केरल के पलक्कड़ में RSS की अखिल भारतीय समन्वय बैठक हुई। बैठक में आरएसएस ने जाति जनगणना को लेकर कहा कि यह लोगों के कल्याण के लिए सही है लेकिन इसका इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाना चाहिए। सुनील आंबेकर ने कहा कि हमारे हिंदू समाज में जाति बहुत संवेदनशील मुद्दा है। जनगणना हमारी राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के लिए अहम है। इसे बहुत गंभीरता के साथ किया जाना चाहिए। किसी जाति या समुदाय की भलाई के लिए भी सरकार को आंकड़ों की जरूरत होती है। ऐसा पहले भी हो चुका है। लेकिन इसे सिर्फ समाज की भलाई के लिए किया जाना चाहिए। चुनावों का पॉलिटिकल टूल न बनाएं।

निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि आरएसएस द्वारा जातिगत जनगणना का विरोध करने का दावा गलत है। आरएसएस ने जातिगत जनगणना का समर्थन करते हुए इसे चुनावी उद्देश्यों के बजाय कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए किये जाने का सुझाव दिया है।

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